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. विमानस्थान-अ०८.
(६२९) और सुन्दर तथा सुकुमार और खूबसूरत होताहै । सार होनेसे संहत और स्थिर होताहै सांद्र होनेसे सर्वांग परिपूर्ण और पुष्ट होते हैं । कफके मंद स्वभावसे मंद चेष्टा और आहार विहार मंद होतेहैं । स्तैमित्य होनेसे-उद्योग, क्षोभ और विकार यह सव विलंबसे होतेहैं।भारी होनेसे सारवान् और स्थिरगति होताहै।शैत्य होनेसेक्षुधा, तृषा, संताप, स्वेद और दोष यह अल्प होते हैं । पिच्छलगुण होनेसे शरीरके सव बंधन दृढ होतेहैं एवम् कफका स्वच्छ गुण होनेसे कफ प्रकृति मनुष्यकेदृष्टि, मुख, वर्ण, और स्वर यह सव निग्ध तथा प्रसन्न होतेहैं । इस प्रकार इन गुणों के कारण कफप्रकृति मनुष्य-वलवान्, विद्यावाला, ओजस्वी, शान्तस्वभाव तथा दीघायु होतेहैं ॥ १११ ॥
पितप्रकृतिके लक्षण । पित्तमुष्णंतीक्ष्णंद्रवंवित्रमम्लंकटकञ्च। तस्यौष्ण्यापित्तला भवन्तिउष्णासहाः उष्णमुखाः सुकुमारावदातगात्राःप्रभूतपिप्लव्यगतिलकपिडकाःक्षुत्पिपासावन्तःक्षिप्रवलीपलितखा'लित्यदोषाः । प्रायोमृद्वल्पकपिलश्मश्रुलोमकेशाःतैष्ण्यात्तीक्ष्णपराक्रमाःतीक्ष्णाग्नयःप्रभूताशनपानाःक्लेशसहिष्णवोदन्दशूकाद्रवत्वाच्छिथिलमृदुसन्धिबन्धमांसाःप्रभूतसृष्टस्वेदमूत्रपुरीषाश्चविस्रत्वात् । प्रभूतपूतिवक्षःकक्षस्कन्धास्यशिर शरीरगन्धाः कटुम्लत्वादल्पशुक्रव्यवायापत्याः। तएवंगुणयोगात्पित्तलामध्यवलामध्यायुषोमध्यज्ञानविज्ञानवित्तोपकरणव. न्तश्चभवन्ति ॥ ११२॥ पित्तप्रकृति-पित्तका स्वभाव गर्म,तक्षिण,द्रव,विन, अम्ल और चरपरे गुणवाला होताहै । पित्तप्रकृति मनुष्य-पित्तके उष्णगुण होनेसे गर्मी सहन नहीं करसकता तथा मुख मस्तक गरम रहताहै । और उनका शरीर कोमल और स्वच्छ होताहै । शरीरमें पिपलू, झाई, तिल तथा फुनसी आदि अधिक होतेहैं।क्षुधा,प्यास अधिक लगतीहै।शरीरमें सलवट पडना,वालोंका सफेद होजाना,सिरमें गंज होजाना यह सब छोटी ही अवस्थामें होजातेहैं.डाढी,मूछ,रोम और केश पायानरम,छोटेरऔर भूरेगके होते, पित्तके तीक्ष्ण गुण होनसे पित्तप्रकृति मनुष्य तक्षिण पराक्रमवाले,तीक्ष्ण अग्निवाले अन्नजलको शीघ्र पचाजानेवाले या अधिक खानेवाले, क्लेश सहन करनेकी सामर्थ्यवाले तथा दंदशक अर्थात् खानेके लोभी होतेहैं । पित्तके पतले स्वभाववाले