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चरकसंहिता-भा० टी०॥ चाहिये ऐसा करनेसे मृत्यु होतीहै अथवा बल, वर्ण, तेज और वीर्य नष्ट होतेहैं और महारोग तथा नपुंसकता उत्पन्न होतीहै । कोई कहते हैं कि मूलमें जातूशाक जो लिखा है वह बांसकी कोंपलका वाचक है ॥ ११४॥ ..
तदेवालकुचपक्कंनमाषसूपगुडसर्भिःसहोपयोज्यवैरोधकत्वा. त्॥११५॥ तथाम्रातकमातुलुङ्गलिकुचकरमर्दमोचदन्तशठबदरकोशाम्रभव्यजाम्बवकापत्थातन्तिडीकपारावताक्षोटपनसनालिकेरदाडिमामलकान्येवम्प्रकाराणिचान्यानिसर्वचाम्लंद्रव्यमद्रवंचपयसासहविरुद्धम् ॥ ११६ ॥ इसी प्रकार पकेहुए कटहरको उडदकी दाल, गुड, और घीके संग नहीं खाना चाहिये क्योंकि यह भी विरोधकारक हैं ॥ ११५. ॥ अम्बाडा, विजौरा, कटहर, करौंदा, मोच (सहँजनेकी फली), जंभारी नबु, बेर, कोशाम्र, भव्यफल ( कमरख), जामुन, कैथ इमली, पारावत (लवलीफल) अखरोट, पीलू, वडहर, नारियल, अनार, आँवले एवम् जितने प्रकारके खटाई तथा खट्टे फल तथा कांजी आदि द्रवपदार्थ हैं उन्हें दूधके साथ नहीं खाना चाहिये ॥ ११६ ॥ कंगुवरकमकुष्ठककुलत्थमानिष्पावाःपयसासहविरुद्धाःपद्मोत्तारकाशाकंशाकरोमैरेयोमधुचसहोपयुक्तंविरुद्धंवातञ्चातिकोपयति ॥ ११७ ॥ हारिद्रकासर्षपतैलभृष्टोविरुद्धपित्तञ्चातिकोपयतिश्लेष्माणंचातिकापयति पायसोमन्थानुपानोविरुद्धः। उपोदिकातिलकल्कसिद्धाहेतुरतीसारस्य ॥ ११८ ॥ बलाकावारुण्याकुल्माषेपिविरुद्धा । सैक्शकरवसापरिभृष्टासद्यो व्यापादयति ॥ ११९ ॥ .. कंगुधान्य, वरक ( चीना) धान्य, मोठ, कुलथी, उडद, मटर इन सबको भी दूधके साथ मिलाकर नहीं खाना चाहिये । कसोंमाका साग, शर्करासे बने मद्य,
और शहद तथा मैरेय मद्य इन सबको एकसाथ मिलाकर खानेसे विरुद्ध भोजन होताहै तथा वायुका अत्यन्त कोपकारक है ॥ ११७ ॥ हारिद्रकको सरसोंके तेलमें भूनकर खाना विरुद्ध है और पित्तको कुपित करताहै जलमें मिलेहुए घी और सत्तू खाकर उपरसे खीर खाना अनुपान विरुद्ध है तथा कफको अत्यन्त कुपित करता है । तिलके कल्कमें सिद्ध किया हुआ पोईका साग अतिसारको उत्पन्न करताहै ॥ ॥ ११८ ॥ वारुणी मद्यके साथ एवम् कुल्माषके साथ वगुलेका मांस विरुद्ध है