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(३४०) . चरकसंहिता-भा० टी० मंसंग्राहिवातलम्॥ १३० ॥ मधुराम्लंकषायत्वात्सौगन्ध्या
चरुचिप्रदम् । परिपक्कंसदोषघ्नविषघ्नंग्राहिगुर्वपि ॥ १३१ ॥ टंक ( नील कपित्य ) पहाडी कच्चा कैथका फल-कषाय, वातकारक, भारी और शीतल होताहै । कैथका फल-विषनाशक, स्वरको बिगाडनेवाला, संग्राही और वातकारक, होताहै । पकाहुआ कैथका फल-मधुर, अम्ल, कषाय, सुगंधयुक्त . होनेसे रुचिकारकत्रिदोषनाशक,विषनाशक,संग्राही औरभारी होताहै१३०॥१३॥
बिल्वके गुण ।। दुर्जरबिल्वसिद्धन्तुदोषलंपूतिमारुतम् ।
स्निग्धोष्णतीक्ष्णंतहालंदीपनंकफवातजित् ॥ १३२ ॥ पकाहुआ बिल्वफल-दुर्जर, दोषयुक्त, वायुमें गन्धका फैलानेवाला, चिकना : और गर्म और तीक्ष्ण होता है। कच्चा बिल्वफल-दीपन और कफ वातको जीतने वाला होता है ॥ १३२॥
आमके गुण। वातपित्तकरंबालमापूर्णपित्तवर्द्धनम् ।
पकमा जयेद्वायुमांसशुक्रबलप्रदम् ॥ १३३॥ बहुत छोटा आम्रका फल रक्तपित्तको करनेवाला होता है । कच्चा आमका फल पित्तको कुपित करताहै । पकाहुआ आमका फल वातनाशक, मांसवर्द्धक, शुक्रजनक तथा बलकारक होता है ॥ १३३ ॥
जामुनके गुण ।। कषायमधुरप्रायंगुरुविष्टम्भिशीतलम् ।
जाम्बवंकफपित्तनग्राहिवातकरपरम् ॥१३४॥ पकेहुए जामुन-कषाय, मधुर, भारी, विष्टम्भकारक, शीतल, कफपित्तनाशक, संग्राही और वायुको कुपित करते हैं ॥ १३४ ॥ .
बेरके गुण ।. मधुरंबदरंस्निग्धंभेदनंवातपित्तजित् । तच्छष्कंकफवातघ्नंपित्तेनचविरुध्यते । कषायमधुरशीतग्राहिसिञ्चितिकाफलम्॥१३५॥ पके हुए बैर-स्निग्ध, मधुर, भेदनकर्ता, वातपित्तनाशक होते हैं सूखेहुए बेर बात और कफको हरते हैं तथा पित्तके विरोधी नहीं हैं सिंचितिका फल-कषाय, मधुर, शीतल और संग्राही होताहै ॥ १३५॥