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सूत्रस्थान-अ० २५.
(२७७) । वह इस प्रकार हैं लाल शालिचावल सव शूक धान्योंमें सर्वश्रेष्ठ पथ्य :गिर्ने जाते हैं इसीप्रकार सव प्रकारके शमीधान्योंमें मूंग सर्वश्रेष्ठ है। जलों में शुद्ध आकाशका जल सर्वश्रेष्ठ है । नमकोंमें सेंधा नमक श्रेष्ठ है सागोंमें जीवन्तीका साग श्रेष्ठ है। मृगमांसोंमें काले हिरणका मांस श्रेष्ठ है। पक्षियोंमें लवा, विलेशयोंमें गोह, मछ: लियोंमें रोहित, घृतोंमें गोघृत, दूधोंमें गोदूध, स्थावर स्नेहोंमें तिलतैल, अनूपसंचारी जीवोंकी चर्बीमें सूअरकी चर्वी, मछलियोंकी चर्बीमें चुलुकीनामक मछलीकी चर्वी, जलसंचारी पक्षियोंकी चर्चा में हंस या वत्तककी चर्वी सर्वोत्तम मानी जाती है। विष्किर पक्षियोंकी चर्चा में मुर्गेकी चौं,शाखापत्र .खानेवालोंमें बकरेकी चर्वी उत्तम है । मूलों में अदरक, फलोंमें मुनक्का,ईखके विकारोंमें मिश्री सर्वोत्तम कही जातीहै । इस प्रकार स्वभावसे ही हितकारी प्रधान २ आहारोंका वर्णन कियागया ॥ ३९॥
सामान्यतःसे अहित द्रव्य । अहिततमानामप्युपदेक्ष्यामःायवकाशूकधान्यानामपथ्यत्वेप्रकृष्टतमाभवन्ति । माषाःशमीधान्यानां,वर्षानादेयमुदकानामौषरंलवणानां, सर्षपशाकंशाकानां, गोमांसंमृगमांसानां, कालकपोतःपक्षिणां,भेकविलेशयानां,चिलिचिमोमत्स्यानामाविकंसर्पिः सर्पिषामाविक्षारक्षीराणां, कुसुम्भस्नेहालेहानां स्थावराणां,महिषवसाआनूपमृगवसानां, कुम्भीरवसामत्स्य वसानां, काकमद्वसाजलचरविहंगवसानां, मूलकंकन्दानां, चाटकवसाविष्किरशकुनिवसानां, हस्तिमेदः शाखादमे'दसां, लिकुचंफलानां, फाणितमिाविकाराणासितिप्रकृत्यैवअहिततमानामाहारविकाराणांनिकृष्टतमानिद्रव्याणिव्याख्यातानि ॥३६॥ अब अहितकारक द्रव्योंका वर्णन करतेहैं । शूकधान्योंमें जव, शमीधान्यमि उडद, जलों में वर्सातकी नदीका जल, नमकोंमें खारी नमक, सागोंमें सरसोंका साग अहितकर और कुपथ्य होताहै । पशुओंके मांसोंमें गोमांस, पक्षियोंमें कालकपोत, विलेशियोंमें मेंढक, मछलियोंमें चिलचिम मछली, घृतोंमें भेडका घृत, दूधोंमें भेडका दूध,स्थावर स्नेहोंमें करडका तैल अहितकारी होताहै ।अनूपसंचारी जीवोंकी चर्बी में भैंसेकी चर्वी,मछलियोंकी चर्बी में कुम्भीरकी चर्वी,जलचर जीवोंमें