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. सूत्रस्थान-अ० २५..
(२८६) अग्निवेशका आसवविषयक प्रश्न । तदात्रेयस्यभगवतोवचनमनुनिशम्यपुनरपिभगवन्तमात्रेयमनिवेशउवाच । यथोदेशमभिनिर्दिष्टः केवलोऽयमोंभगवता श्रुतस्त्वस्माभिः । आसवद्रव्याणामिदानींलक्षणमनतिसंक्षेपेणोपदिश्यमानंशुश्रूषामहेइति ॥ १९॥
आत्रेय भगवान्का यह सम्पूर्ण उपदेश सुनकर आग्निवेश कहने लगे कि हे भगवन् ! जिस २ वातकी जाननेकी हमने इच्छा की वह सब आपने कृपापूर्वक निर्देश करदिया है । अव हम आसवद्रव्योंकी प्रकृति और लक्षण विस्तारपूर्वक सुनना चाहतेहैं, कृपाकर उनका भी विस्तारपूर्वक कथन कीजिये ॥ ४९ ॥
आत्रेयजीका उत्तर (आसवोंका वर्णन ।) तमुवाचभगवानात्रेयः । धान्यफलसारपुष्पकाण्डपत्रत्वचोभवन्त्यासवयोनयः अग्निवेश ! संग्रहेणाष्टौशर्करानवमास्तासुद्रव्यसंयोगकरणतोऽपरिसंख्येयासुयथापथ्यतमानासवानांचतु. रशीतिनिबोधसुरासौवीरतूषोदकमैरेयमेदकधान्याम्लषड्धान्यावासवाः । मृद्वीकाखजूरकाश्मर्यधन्वनराजादनतृणशू. ल्यपरूषाभयामलकमृगलण्डिकाजाम्बवकपित्थ-बकुल-बदरकर्कन्धुपालुपियालपनसन्यग्रोधाश्वत्थप्लक्षकपीतनोदुम्बराजमोदशृङ्गाटकशंखिनीतिफलासवाःषड्विंशतिः । विदारंगन्धाश्वगन्धाकृष्णगन्धाशतावरीश्यामात्रिवृदन्तीद्रवन्तीबिल्वोरुमुकचित्रमूलैरेकादशमूलासवाः। शालप्रियकाश्वकर्णचन्दनस्यन्दनखदिरकदरसप्तपर्णार्जुनासनारिमेदतिन्दुकाकणिहीशमीशुक्तिर्शिशपाशिरीषवञ्जुलधन्वनमधूकसारासवा विंशतिः ॥ ५० ॥
यह सुन आत्रेय भगवान् कहनेलगे कि हे अग्निवेश ! धान्य, फल, मूल, सार, फूल, डंडी, पत्र, छाल इन आठ वस्तुओंसे आसव वनताहै और नवम पदार्थ आसक बनानेका खांड है। इन द्रव्योंके परस्पर संयोग विशेषसे असंख्य आसव बन सक, तेहैं उनमें चौरासी ८४ प्रकारके आसव उत्तम और पथ्य माने जाते हैं। इन आस