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तपणखालिसकराई बुखावणविरकरारंचिरुचरियड्दादिषयाई संसरियपुरगहपया शजिणयसिणालितणकला विमायउचठसहिविकलाडराएना करणिहिपथिरसमयमा मश्यससमाणिय णचिंतापरमेसरण उंदिराजयपरियाणिराजनहिया समदमरलाज मसाहाल सुक्यदलग्गमा जिणाहुमोला अमरामादिसिंचिजमा ए साहसणपवहमाए देहणिवंचिया
निम्मलनु महिमदरधरपुचण तसवणिरामविंडसरहिवपवरू वणरुकदिन हाराहारगरु ववज्ञविध हणारक्षणामु संहाणपहिवउपवलथामु शाम
जसिटिजनन्दिजासादायहा राजाचादिन पतयवहाविसमच सहाण जासारसा
उसलकपच पियहियमिदव सुतिकरण अणुविनचिनु असयदहजारपरंपमिदाबा अम्मेणसमठधामणिवह परि सहवपरिमाणुलदु विदिकरपन्नासविसेससिद्धार्थना जमुकोविणपिकवणयले परमजिणि दहोणिस्वमद ससिविणाबरुमदरुमयरहरु विउवमाणउँदमितहाजिताहिकुगुणगणपुष्प यं वजियानयो तासियजणमण कोवणाजिणाही जाससहरुसोतहोकंतिपिडं चितउवार३१
स्खलित अक्षर बोलने पर भी उसने बाबन ही अक्षर जान लिये। धरती पर थोड़े-थोड़े पद रखते हुए चिर रहित, प्रचुर सुरभि है; जिनका रुधिर भी हार और नीहार की तरह गौर वर्ण है। श्रेष्ठ वज्रवृषभनाराच संहनन पूर्वांग-पद उसे स्मरण में आ गये। जिनरूपी चन्द्रमा के शरीर की कलाएँ ग्रहण करते ही उसने चौंसठ कलाओं नाम का प्रबल शक्तिवाला उनका पहला शरीर-संघटन है। जहाँ-जहाँ भी देखो वहाँ शोभानिधान, उनका दूसरा का ज्ञान प्राप्त कर लिया।
समचतुरस्र संस्थान था। जग में श्रेष्ठ सुरूप और सुलक्षणत्व, प्रिय-हितमित वचन और एकनिष्ठ चित्त। जिनके पत्ता-इन्द्रियों की वृद्धि से उनकी बुद्धि दृढ़ होती है, दृढ़ बुद्धि से वे शास्त्र का सम्मान करते हैं। और जन्म के समय से ही निबद्ध प्रसिद्ध दस अतिशय हैं। मानो उन्होंने पुरुषरूप के परिमाण को प्राप्त कर लिया शास्त्र का चिन्तन करते हुए परमेश्वर ने अवधिज्ञान से विश्व को जान लिया॥१॥
है (उसकी उच्चता को पा लिया है), और विधाता के निर्माण का अभ्यास विशेष उन्हें सिद्ध हो गया है।
घत्ता-निरुपम परम जिनेन्द्र के समान भुवनतल में कोई नहीं है, उनके लिए चन्द्रमा, दिनकर, मन्दर
और समुद्र का क्या उपमान +? ॥२॥ जिसका मूल समता और दम है, जिसकी यम-नियमरूपी शाखाएँ हैं। जिससे पुण्यरूपी फलों का उद्गम होता है, ऐसा वह जिनरूपी कल्पवृक्ष, देवों के अमृत से सींचा गया और पुण्य से बढ़ता हुआ शोभित है। गुणगण से युक्त, दुर्नयों से रहित, जन-मन को सन्तुष्ट करनेवाले जिनका वर्णन कौन कर सकता है? उनके शरीर में नित्य निर्मलता है, और मन्दराचल को धारण करने की अनन्त शक्ति है; स्वेद बिन्दुओं से जो चन्द्रमा है वह उनकी कान्तिपिण्ड का विचार करता हुआ
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