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महिसमरालाई मेस दसावर करहसियालाई सेहा सरढ तुरकहिंरिहिं मदर महारयकल वमनहि। तिरकतिरिकडक संदादि सलवणाला विदजो गिदिँ वलनिम्मंथणु नियल निबंधणु लाए राह पुणासार्विधणु निदपुलिंद ताडपत्ताणु उक्कन्त्रण सरीरविहंस सरपाहाण संघसंघट्टपुलि
श्रावणुपरि दलभ लगुमुमृरणरणु पाल पुनलण दारणमारण बुहसंता किलेस संताव लावद देस पुरावाणु यवडरक लकाइंस ड्रेपि जानतिरिखगडकरवमुपरि छत्रा निकम्मवसाय होइविलासन पारसुवहरुसिंघल इण चीनिवास अमणि सास उपाय खंडया मळोणमुपणिय दिये करडलंडकिये विडराव त्रस्य णिवडशार समुद्दा अविल हविय लपविमलकुल मिलियन किंपिसंप खफखु खमदमसमसँज़म संजावई, तविणलदश्संमुगुकदेवक्रमगोमुझई जिणव वाणुकादिन बुशई जडविडको मय वद कम्मो लग्गई कामि कृठियधमदो लुहमुह चंडिस मंडिविमिस पियम कवल इसरसामिस पसुवलितिहिं खमश्वश्च मारलमरिवि हाइपरविपस विरसंत है सिरकमलुविलु साचितर्हिति मारिज | पुत्रणि वद्दल आगर
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महिष, मराल, मेष, वृषभ, खर, करभ, श्रृंगाल, सेढ, सरढ, तरच्छ, रीछ, मगर, महोरग, कच्छप और मत्स्यों आदि की तीखी तियंच गति के दुःखों को देनेवाली नाना योनियों में उत्पन्न होता हुआ बल का नाश होना, बेड़ियों से जकड़ा जाना, भार का उठाना, नाना प्रकार के बन्धन, छेदन- भेदन-ताड़न, त्रासन - उत्कर्तन, शरीर का विध्वस्त होना, तीर और पत्थरों से संघर्षण, लोटना, घूमना-फिरना, दलन, मला जाना, मसला जाना, सताया जाना, पीड़ित होना, काटा जाना, फाड़ा जाना, मारा जाना, क्षुधा तृष्णा के दुःखों का सन्ताप और भार से आरूढ़ होकर देश- पुर गाँव में जाना, इस प्रकार लाखों दुःखों को सहनकर जीव किसी प्रकार तिर्यक् गति छोड़कर
घत्ता - अपने कर्म के वशीभूत भील, पारसीक (पारसी), बबर, सिंहल, हूण और चीन का निवासी होता है, मनुष्य की भाषा नहीं जाननेवाला वह आर्यकुल नहीं पाता ॥ ६ ॥
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म्लेच्छ भी अपना हित नहीं करता और वह अलंघ्य दुष्कृत करता है, तथा दुःखों के आवर्त से भयंकर नरकरूपी समुद्र में पड़ता है। उसके बाद यद्यपि वह अविकल अत्यन्त पवित्र कुल पाता है और मन के द्वारा चाहे गये कुछ सम्पत्ति के फल को पाता है, तब भी गुणवानों की संगति प्राप्त नहीं करता। कुगुरु, कुदेव और कुमार्ग में मुग्ध होता है, जिनवर के वचनों को कदापि नहीं समझता। मूर्खो और धूर्तों के द्वारा कहे गये। पशुवधधर्म और किसी भी कुत्सित कर्म में लग जाता है, लोभी और मुग्ध वह चण्डिका का बहाना बनाकर मद्य पीता है और सरस मांस खाता है। यम पशुबलि देनेवालों को क्षमा नहीं करता, मारनेवाला मारकर फिर पशु होता है। जो चिल्लाते हुए पशुओं का सिरकमल काटता है, वह भी दूसरों के द्वारा वहाँ मारा जाता है। पहले का संचित कर्म आगे
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