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अपनी कान्ति को छोड़ देनेवाले राजा प्रभास ने भरत को इस प्रकार देखा जिस प्रकार शुभ परिणाम भव्य ने प्रणामपूर्वक अरहन्त को देखा हो। ___घत्ता-श्रेष्ठ वाहनों में चलनेवाले उस वसुन्धरानाथ को कुसुम, कल्पवृक्षों के फल, रत्न, वस्त्र और भूषण उसने प्रदान किये॥९॥
गंगा और सिन्धु नदियों के द्वारा अपनी सीमा निश्चित कर पूर्व और पश्चिम दिशा में प्रवेश कर उसने वैरभाव धारण करनेवालों को परिस्थापित किया। विजयार्ध पर्वत के ऊपर स्थित अत्यन्त सम्पन्न, दोषों से प्रचुर उन म्लेच्छ खण्डों को तलवार से जीतकर, आर्यखण्ड में दण्ड स्थापित कर मालव, मागध, बंग, अंग, गंग, कलिंग,
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