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मुटियाउ उधिमाश्मणिमंडवियासयवरामिदिवासयमिकपमंतिरतासयणिय पदाणिहियदेवासयईडन्चारखरिमयपहरणअहिवासविसविपहरणरंदरकालिमसस
सरथचूकदर्द दरतसिंहास न्यवरणेत
हरवटाणिनह पासपढिवाविरमणियदे कुसस्यणपसन्नउसईसरडवामिलादनादिरण दिलरड करिवरिखसरासरामयण वडाविहरिउमण्डलराणणारुहविरहनामिग
सका४२
मणिमय मण्डपों के घर स्थापित कर दिये गये, और भी दूसरे घर निर्मित कर दिये गये। दुर्वार वैरियों के मद पर प्रहार करनेवाले अस्त्रों को अधिष्ठित और भूषित कर दिया गया। अपने चन्द्रमारूपी चूडामणि को दिखानेवाली रात्रि में उपवास स्वीकार कर स्वयं भरत कुशासन पर सो गया। सवेरे आकाश में नक्षत्रों को
ढकनेवाला दिनाधिप उग आया। राजा ने धनुष अपने हाथ में ले लिया, मण्डल राणा ने खूब क्रीड़ा की। रथ के अग्रभाग पर चढ़ते हुए उसने शंका नहीं की।
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