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जियकविलासजेविठसहलपडक्कटिलाग्नुस्यासनातरूणियण पुजारुहतेदोदितिजणे सिवि
तरेणिवलकमयससिपिअवलाध्यसागदारिसिजेतिरुणावसहकलकदणि तेतरूणमणु सदाहितिमाण जिदजिदलरापतणुपरिणविदा तिहतिवणासगरुवाहविहा इसमकालपतिहार सई मरिदितिथवरदयणमाछा जससिपरिखसम दिहुवरासमतुकलिकालेससासह पार
पिवमणयजम अचर्दिवरार होहीयाणरिसासह। दिउधवलहसणानंगणु चरिदीपन आदिनाथसस्थ
ATMOSTALAGATC चक्रवनियति स्वन्नपलकथन ।
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वे विट सुख-लम्पट और कुटिल जन हैं। जो गुरु तरुणीजन में आसक्त हैं वे लोगों में पूजा के पात्र होंगे। हे राजर्षि, जो तुमने स्वप्न में नृपकुल कुमुदचन्द्र देखा और जो कलकण्ठध्वनिवाले तरुण बैल देखे, उससे तरुणजन मुनि होंगे, जैसे-जैसे बुढ़ापे में शरीर परिणत होगा, वैसे ही वैसे लोगों में भारी धनाशा होगी। दुषमा काल में मुनि लोग तृष्णा के साथ मरेंगे यह मेरा ध्रुव-कथन है।
घत्ता-और जो तुमने दुष्ट फलदायी चन्द्र परिवेश देखा है, वह हे नवनृप, कलिकाल में शिष्यों सहित मुनियों का मन:पर्ययज्ञान और दूसरा अवधिज्ञान होगा॥१२॥
१३ जो तुमने बैलों का गण देखा है
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