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नमिमुत्राणितवचरण सणवायहीकारणुकवणुल्लागात
तीमत्तहारकशति निपुणविहयरामा मकरीसारण्याला केवलिकहियनवश्या
देवदेव्याचाकरल रुादवहोकश्मणिवा घासिहरादरमियरवछि कोदण्डरिकिंपिनमरि सहिंसासुरुणिवसेश्वणि पामणा
तामुपदपजनि उधिमाउरिनलहानिहपाहोहउँकालय तीमात्रण निपा
गउणंदणादणहाजश्वदिविसावमा श्वचितग्रहण।
वउलग्नघरायहोवणउसहि न पखहियम्मास्मिद्दिदहा वर्कि सुंदहालिदियहो जैदिसमअप्पहितासमुन अावहिजादलका दादया वापषसहपाखियमुणिवासहापदरंवलियम पापहरअलियलासिथण परमहिलारउमणमाइलरणले दुविपध्वडुनियहिदाजपाणएकेकटमुछिनम तेहिंविधखि उभियनियवरिठा हिंसालियवयणहिपरियलिाधन जणजी
आपने बचपन में तपश्चरण ग्रहण कर लिया है, उस वैराग्य का क्या कारण है?
मैं क्रीड़ा के लिए नन्दन वन में गया। यति की बन्दना कर मैंने श्रावकब्रत स्वीकार कर लिये, घर आने पर घत्ता-यह सुनकर राग को नष्ट करनेवाली मृदु और गम्भीर वाणी में बह मुनिवर केवली के द्वारा कहा। बाप ने यह सहन नहीं किया। दूसरों के भार को ढोने के कम से निद्रारहित दरिद्र के लिए क्या व्रत सुन्दर गया पूर्व वृत्तान्त उस देव को बताते हैं ॥३।।
होता है ? हे पुत्र, जिसने ये ब्रत दिये हैं उसी को सौंप दो। हे दीर्घबाहु, आओ जल्दी चलें। पिता के अपने
हाथ से प्रेरित मैं पुन: मुनि के निवास के लिए चला। दूसरे का हिंसक, परस्त्री का अपहरणकर्ता, दूसरे के जिसके शिखरों पर आरूढ़ होकर देवता रमण करते हैं, यहाँ ऐसी पुण्डरीकिणी नगरी है। उसमें कुम्भोदर मर्म का उद्घाटन करनेवाला, झूठ बोलनेवाला, और लोभी को भी रास्ते में बँधा हुआ देखा। पिता ने एकनाम का बनिया निवास करता था। (मैं) उसका भीम नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। निर्धन घर से विरक्त होकर एक से पूछा। उन्होंने भी अपना-अपना चरित बताया कि जो हिंसा और झूठ वचनों से गिरा हुआ था।
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