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श्रीपालपासिदो
अण मकररले दिमाणतिष्टाणा श्यर्वितिविरणुपारलिदा सुत्र वेद्याधरवाए।
णतष्पविहिावाणिवासियन सिरिखमवेदाखिाहणई रहस्रणय वादियवाहपद छीतरेगस्टारडसाइथि विहिपम्म निर्वपुल हकिनामिन्नतणुविल्डावधवह किवणावरहंबहिणावहीच यसपाणिनिवारितवविवरामवयसकरालकिवाणकर सप्यारह
रायहातणठघरु नियमायाकुपरिठदुगसिहरू रादाहोतहोचाहर समयियातणयाहरसिविससमप्पियठविवाजवक्षणमणचारिहिं सणिडकमारिहिं पहकास किंवाघ्यापावरणियाय खगका मिपिला विविवन्न
श्रीपालक कंत्री पिवेश्याम रहमाणसामिणामहंगुणहिंजनियाराकिम
रुधरण पाथरीनराहिवस्पुत्रिया एलकामलंपडपरवयरणश्राणि। या सदासिहसहरमिगावरानियाणिया हारदारासिंदगा तारतवनतिमा जपण्णसासमानाविनवतिया तामेजरखदे वणवाडिमाविमारिया ललिवालचकवहिएसोकमारिया|
स्तनों का अपने कोमल करतलों से आनन्द ले सकते हैं ! यह विचारकर उन्होंने युद्ध प्रारम्भ किया। दोनों घत्ता–युवजन के मन को चुरानेवाली उस कुमारी से कहा कि यह किसकी है और क्यों आयी है ? ने सज्जनता का नाश कर दिया। एक-दूसरे के ऊपर जिन्होंने अपने शस्त्र का प्रहार किया है ऐसे उन विद्याधरों तब पीन स्तनोंवाली उस विद्याधर स्त्री ने हँसकर यह बात निवेदित की॥६॥ के बीच में बड़ा भाई आकर स्थित हो गया और बोला कि दोनों ने प्रेम सम्बन्ध को भयंकर बना लिया इससे भाइयों की मित्रता विघटित होती है। फिर दूसरे नये लोगों का क्या होगा? यह कहकर उसने अपने हाथ में हे स्वामिनी, यह अनेक गुणों से युक्त पुण्डरीकिणी नगरी के राजा की लड़की है। काम से लम्पट विद्याधर भयंकर तलवार उठाये हुए उन लोगों को मना किया। तब वह माया कुमारी, जिसका उत्तुंग शिखर ऐसे अपने के द्वारा धरती में प्रसिद्ध भोली पण्डित यह मानविका कन्या यहाँ लायी गयी है। स्वच्छ और लाल आँखोंवाली विजयाध पर्वतवाले घर पर उसे ले गयी। राग से उसने उसे सुन्दर समझा और तृण की सेज पर उसे निवास हार-डोर से विभूषित शरीरवाली यह भाई और माता के वियोग से दुःखी होकर बोलती नहीं। तब यक्षदेव दिया।
ने उसके बुढ़ापे को नष्ट कर दिया। ये चक्रवर्ती लक्ष्मी श्रीपाल और ये नौ कुमारियाँ हैं।
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