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रिपेसिटाउ जापवित्रणछनावरस्टासोणबहअनपश्चापपुणरविणटारेपवेटकर थे जणगुपोणदिवारुहललोयहोकरधणुचारियडामरंगदहोपोछालिन ताखिया गरहियड तेणविपजियसाहिदा उविज्ञवादिहरवरित पशवहनिवासनिवज्ञरिक घन कमरमणीयणकी ठणे कंचणयारमिहल यशनहियाशजयकरहविसबमाणिकर तमविरुदाविउशिवरनेहं करखालकातकपागकरह सामारून
कोग्यालेनगुणय विमऽहकारियठ मन्तिमदेविहिवारियट पडणासोमुहिन
लमुनीस्वरबाबर लोयणतंचरणहिलासिविललाई श्रायावियमणिमणिगयो
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रपिओगता णिहिय वणिमालरोटलकेविगहिया मित्रस्वाहिल्लापजिन्दा इधणु जिविसहहिमलमूहिहणण विमश्हेदंडवियारिया नामघायूहिसारियन गोमडविमसकर्हिसकिय वसुद्धाय शविच कियह परिवाडिएसोसिसिविकरविडम्मश्न मसन मरविडमण्डालहादाम वनलाब्यातगणघाज्यका हरदोहमिपञ्षणतिमिर दोषिविघल्लियबाधविविवर मध्यता
नहीं भेजा। तुमने जाकर किसी दूसरी जगह अपना घर बसाया। वह राजा गुणपाल जब प्रबजित हो गया तो तुमने पुन: नगर में प्रवेश किया और अंजनगुण से तुमने दृष्टि के संचार को रोक लिया (अदृश्य हो गये), तलवार और भालों से जिनके हाथ कांप रहे हैं, ऐसे राजपुरुषों को वह घर बता दिया। मैंने सुनार को तथा लोगों का खूब धन चुराया। पौर ने राजा से पुकार मचायी। उसने आरक्षक कुल की निन्दा की। तब भी खब पुकारा। विधि से निवारित वह माँगने पर भी होरे नहीं देता। राजा ने भोजनक से पूछा ( कहा) आरक्षक कुल ने प्रतिअंजन की सिद्धि कर ली। तुम विद्युच्चोर को उन्होंने देख लिया और पकड़ लिया। तुमने कि उसकी गृहिणी की अभिज्ञान चिह्न बताकर घर में रखे हुए मणि ले आओ। या तो किसी प्रकार गोबर धन की जगह बता दी।
खाओ या सब धन दो, या पहलवानों का मुष्टि प्रहार सहो। इस प्रकार विमति (सुनार) के लिए दण्ड सोचा घत्ता-जहाँ रमणीजन क्रीड़ा करती हैं. ऐसे स्वर्णकार के घर में तुमने सूर्य को जीतनेवाले सात माणिक्य गया। मल्ल ने आघातों से उसे हटा दिया, वह गोबर भी नहीं खा सका, अपने चित्त में चौककर वह धन हरणकर रखे थे।॥६॥
ढोता है। प्रतिबादी के द्वारा तीन काम कराये जाकर, वह विमति मरकर दुर्गति को प्राप्त हुआ। तुम फिर चण्डाल के पास ले जाये गये। उसने व्रत ले रखा था, इसलिए उसने मारा नहीं। राजा दोनों से नाराज हो गया। दोनों को बंधवाकर उसने निविड़ अन्धकारवाले विवर में डलवा दिया।
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