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कामिणिहिंमदिन अवलोयविवप्पिलसालपणापरियाणिनम्नससालएण पडसाणरि डरावालतण्ट जोमणश्णाहिसंजणियपाठ जोगिजादविहिंधरविवणुजोडलिदास एणकामघणपापलयसमुग्नरथम मचिंतिविधामधमकेउ जिणपंगणादिण्टादिएट डर खिलाडगडणाराउपिरिउपाउसिण्वसमाव कालयरिदिणवियनालगीव कालक्यु हहिकालाहिवासे घिनठहरिवाहिणिसजदेसिाधलादाहिणिझ्याल खमकालेपनिस
शिव सजाहेणाकणिसण कालसुगमसाउसिण्वखरेहमवम्म तदोरिवहितास कालगुफामादी
उताकम्मु अिहसजजिदपविउणालाजिहाणयठपन्नउधमकेतर राश्टीयाश्रीपालु
जिदपिउपाइपलानि जहिकपक्षिणमुणिममुणविधति, तिहाणिसृणिविडसिएश्वरसुविंकरहक्कठकिकिटारोह किरखिठविंधायसुसुरिस किंवाउचिउमलहविदाहरिस्ताव तूहिरसहलहण्यावप्पिलमजण्याइएणचंठनिसिहि
नमजालनाल प्यालएपडणिखिनसूखाताडिठखतपुपुमाया र रिणानुपाहिलपाछप्पारणानदासजसलसनलेण मनखारभरुरखसकलेणध
मानो रति के द्वारा पूजित कामदेव हो। उसे देखकर उन्नत भालवाले बप्पप्रिय साले ने जान लिया कि यह वही गुणपाल का बेटा राजा है कि जिसे प्रणयिनियों के द्वारा प्रणय उत्पन्न किया गया है। देवताओं के द्वारा उसरावती नगरी में हेमवर्मा था। उसके अनुचरों ने उसका कर्म उसे बताया कि जिस प्रकार वह सेज पर जो वीणा लेकर गाया जाता है, जो सज्जनरूपी कामधेनु को दुहनेवाला है। यह विचार करके धूमकेतु विद्याधर चढ़ा, नाक को चढ़ाया, नवाया और धूमकेतु निकल गया। जिस प्रकार राजा अन्यत्र ले जाया गया और जिस इस प्रकार दौड़ा मानो प्रलयकाल में पुच्छल तारा उठा हो। और उस जिन मन्दिर के आँगन से वह राजाधिराज प्रकार उसे स्थापित कर दिया गया कि कोई नहीं जान सका। यह सुनकर उसरावती नगरी के राजा नौकरों, इस प्रकार ले जाया गया जैसे गरुड़ ने नाग को उठाकर फेंक दिया हो। शत्रु उसे उसराबती के समीप ले गया अनुचरों पर क्रुद्ध हुआ कि तुमने गलती क्यों की? तुमने उस आदर्श पुरुष की रक्षा क्यों न की? तुमने मेरे होते
और जिसमें नीलमयूर नृत्य करते हैं, कालगिरि की ऐसी कालगुहा में, यम के अधिवास हरिवाहिणी देश हए उसके हर्ष को क्यों छीन लिया? तब वहाँ पर रतिसख के लोभी बप्पिल साले ने क्रद्ध होते हए कहा कि में उसे फेंक दिया।
चन्द्रपुर में अन्धकार के समूह से नीली रात में, मरघट में उस राजा को सूली पर चढ़ा दिया तथा तलवार की घत्ता-देवी के अनुकूल होने पर क्षयकाल से रहित वह स्वामी सेज पर बैठ गया और कालभुजंग ने मोगरी से उसे आहत किया गया। लेकिन जो पुण्यादि थे वह विष द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता, शूल, सब्बल उसकी पूजा की॥९॥
से न भेदा जा सकता। वह मनुष्य से नहीं, राक्षस कुल से खाया जा सकता है।
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