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रिकरिवेद्याधस प्रतारयतिनगर पालजरगुआया
काणयेनुसुमियातहवरेविस्डारिमाणावस्यतपपरिक्ष रिशासायहरयाणियसवधरिदायानल विलुलिय विसहरहाय कटियालवलज्यघाणसघागपंडुत्पविर लदादरदरा बग्धचम्मवरविश्यवसपोमिदकंदर, सासिहचंडो मणुअवसाचडिकियगंडो सिसससदरी मदाढासासा जलियजलपजाहामिहकेसो नवधप सामलकुवलयकाला खरगहोऊणंदयालोतासन हिलाघारिणिमहारा पशन जत्रपटागोराजदोउञ्च उन्नवरंउकमीता पवहिकहिउड़जासिनियतोलणा कुवेरसिरीएपनो अहमिहाननकम्मानिहिलो गीण
बजलसासरतरणा जगवरकमकमलमवसरणमा मिणिरएकमाणे श्लजणवाझियचायता बिदाजाणियमुडाको पत्नोतहिंजगपालोमतोमा
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खिले हुए वृक्षों वाले जंगल में शत्रु ने अपना अश्वपन छोड़ दिया और भयंकर राक्षस का रूप धारण कर लिया ॥५॥
वह बेताल जिसके उर-तल पर सौ का हार झूल रहा है, कटितल पर बँधे हुए सर्प विशेष से जो भंयकर हैं, जो सफेद विरल लम्बे दाँतोंवाला है, जिसने बाघ के श्रेष्ठ चमड़े के वस्त्र धारण कर रखे हैं, जिसका मुख मन्दराचल पर्वत की कन्दरा के समान है, जिसका गण्डस्थल मनुष्यों की चर्बी से शोभित है, जो बालचन्द्र के समान (श्वेत) दाढ़ से भयंकर है, जिसके बाल जलती हुई आग की ज्वाला के समान हैं, जो नवघन के
समान श्यामल और नीलकमल के समान काला है, ऐसा वह वेताल आकाशगामी विद्याधर बनकर उससे कहता है कि-तुमने चम्पा के समान गोरी मेरी घरवाली का पिछले जन्म में अपहरण किया था। तुझ पर इस समय दुर्दान्त यम क्रुद्ध हुआ है। इस समय जीता हुआ तू कहाँ जायेगा! तब कुबेर श्री का पुत्र अपने मन में याद करता है कि यहाँ मैं अपने कर्म के द्वारा लाया गया हूँ। इस समय भवजलरूपी समुद्र से तारनेवाले जिनवर के चरण कमल ही मेरी शरण हैं । तब जिसने जनवार्ता से समाचार जान लिया है और जिसने विभंग अवधिज्ञान के द्वारा सुधीजन का दु:ख ज्ञात कर लिया है ऐसा जगपाल नाम का यक्ष वहाँ आ पहुँचा और बोला कि मेरा कुमार अश्व के द्वारा ले जाया गया है।
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