Book Title: Adi Purana
Author(s): Pushpadant, 
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 621
________________ जगन्नयसविणकाजकिंमहिउणदणजोजगदडजमवरचंदण केणविकदिनुवत्तपुरमेसरि हरि वरणहिठपखरकेसरितनिसुपवित्रपलपत्ता महिय लेखिड़िनदविरचंतागुसमोइरा। पणी सम्णिवदडाहदाविहाणा हाहापुत्तमचविलाल कपडासंहावरुवालाकिंबहरियारमि चरतज्ञपरिकणिहरिणिवराडिदिपुरहाकपादहिटमद्धपदा धणयालेनी पतिङ्गगाजयामायक्षपाणदणु हाचिदिदश्वकपहरिता पालासमाया लाजमहामन्तजयलविताश्टमुहश्मागुणमणिपाय। टकंददा।। रुदाकामुकतालासरुजेपामगडहलवाणावलिसो पईतपवंदिडकवलि सुधाहावमिको धार्मिघमि दाहादुर बकवणादिसिखंघमि जपणिविमोलकरनिषिचारिया मंतिहिंी। कहवकहवसाहारिया गयतिखजहिंजिचम्मीसस केवलपाणझारिजोसेस मंदिठवंदारमसमब दिन सक्षिपसखलाठमाणदिसापिउक्लनरसिगण्डरसे उत्तमहारडमिठायासें तदोसयवंतस। मागमुकामकापसाजिपुसतमुदिपुजश्यहं तश्नाटपरकदिवालमातामणवामिणमणि गुणवाल सुरगिरितलसहियासरतसिविरुमणप्पिणुमायावतशघना विमहमहामहिहरणिय । शोक करती हुई माता को मन्त्रियों ने किसी प्रकार मना किया और उसे सान्त्वना दी। वे लोग वहाँ पहुँचे को देखोगी। तब मुनि गुणपाल को प्रणाम करके माँ और पुत्र उस शिविर को छोड़कर सुमेरुपर्वत के तलभाग जहाँ कामदेव को जीतनेवाले केवलज्ञानधारी योगीश्वर थे। देवों के द्वारा सैकड़ों बार वन्दनीय उनकी वन्दना में स्थित हो गये। की। भक्ति से भव्यजन आनन्दित हो उठे। कुबेर श्री ने कहा कि-खोटी आशा से मायावी घोडा मेरे पुत्र को घत्ता-विजयार्ध नामक विशाल पर्वत के निकट ले गया है। हे ज्ञानवान् ! उसका समागम कब होगा? तब जिनवर ने कहा कि सातवें दिन तुम आये हुए बालक Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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