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सोयणव्यशेमासमजापखारविलिहिहितिराणश्चवरशव पन्वयश्वविदिकिया
लश्यासिदितिजडडकिवशेषता ससक्कलहोवळविअवरुद्धगल्लविझगधीवारख खिनही वहितिएकन्न परमरिसित्रणुाकयकवडागमवतहीण/ राहावक्षपदाहिलिया
किंकिममवापपाणत्याधरणसडारणावरहमिसिविणयफलबागसपाहिका HिAREx-हमि पंचायणमतवासपशेदिहातजिणवरसूर्णिमई वीियवसमयकसंगमलिणासुपसाहि
यधम्मतिपलिया जोदिहुसखुणाहम केसरिकिसोरुचनवासमठ सोअतिमिल्बलियो यम कामुकलिंगिमछौश्य अदिहाहरिकरितारहमासीतषहिकदकहनगना तेथति मरिसिलबर्षकहरुधरिहिंतिणनिणचारितसरुजदिहनजामपणपडल्या तणारसहोदावरणिय बजदिहाडख्याद्धकरतेणिवदाहितिदकलक्कमश्जदिहुदसदद्वयउरण तिहारश्वकप दातीपाजण दिहशुभहयाण करिहातवाससमवर्णनाचताजमशेअदलपसकता। सरु दिहजलतारतहि तधम्मुमहारतानवसमगार याहामहिपञ्चतहिाशदिहनरयणश्या वहर्शतमणिलाईमलसंगहई पिचमुनगरिहिविवजिया होहिंतिस दिजिमशेजंदिहापश्च २०
मांस के नित्य भोजन को व्रत कहेंगे, मद्य और परस्त्रियों के साथ। और दूसरे-दूसरे पुराण वे लिखेंगे। देवो के द्वारा यह-यह किया गया, लो इस प्रकार मुखं पापों का पोषण करेंगे।
घत्ता-स्वयं अपने कुलों को चाहकर, दूसरे के कुल की निन्दा कर धीवरी पुत्र (व्यास), गर्दभी पुत्र (दुर्वासा) जैसे कपटपूर्ण आगमों की धूर्तता करनेवालों को परम ऋषित्व और प्रभुत्व देंगे॥१०॥
करनेवाले हैं। और जो तुमने भार से आहत भग्नपीठवाले जाते हुए अश्वों और गजों को देखा है, वे भवरूपी कीचड़ को हरण करनेवाले अन्तिम मुनि हैं, जो चारित्र के भार को धारण नहीं करेंगे। तुमने जो जीर्ण पत्रपटल देखा है, वह यह कि धरणीतल नीरस हो जायेगा। जो तुमने गजों पर आरूढ़ वानरों को देखा है, उससे राजा खोटे कुल और खोटी मति के होंगे। और जो तुमने उल्लुओं में हुआ युद्ध देखा, उससे लोग बहुत-से नयों में लीन हो जायेंगे। जो तुमने भूतों का नाचना देखा, उससे खोटे देवों की पूजा की जायेगी।
घ त्ता-जो तुमने बीच में असुन्दर और सूखा सरोवर और किनारों के अन्त में जल देखा, उससे हमारा उपशम करानेवाला धर्म धरती के किनारों पर होगा ॥११॥
हे पुत्र, ये ब्राह्मण इस प्रकार होंगे। स्थूल बाँहोंवाले तूने इनका निर्माण क्यों किया?" आदरणीय जिन पुन: कहते हैं- 'मैं छिपाकर कुछ भी रगा नहीं। स्वप्नावलि का फल भी कहता हूँ, सुनो। तुमने जो तेईस सिंह देखे, मैंने जान लिया कि वे जिनवर देखे हैं, जो खोटे सिद्धान्तों और खोटो संगति की मलिनताओं से वर्जित और धर्मतीर्थ के पुलिन को प्रसाधित करनेवाले हैं। जो तुमने जम्बूक सहित नष्टमद सिंह शावक को देखा है वह तुमने अन्तिम चौबीसवें तीर्थकर को देखा है-जो कामुक और खोटे लिंगधारियों का आच्छादन
जो तुमने धूलधूसरित मणिरल देखे, वे मल से सहित मुनिकुल हैं, पाँचवें काल में ये ऋद्धियों से रहित स्वेन्द्रिय चेतना (विद्या) वाले होंगे। और जो तुमने कपिल को पूजित होते हुए देखा
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