________________
AU
णिपणाससमसमाहियमिगसोपिणण खणखालखणप्पिएरहितमा सुविहागाईहतर्हिप्पमित माघला णिमुपविहिंसावयणविहिगठकुरुविंडपिठालविकर कारिमकालालहोदरियावा
ध्यवाविविहाणाईवर २३सायपतकृयश्हराठ तणतणझियउसाउाउलाहिठलरखना करवित्रप्रति रसुस्विमायारला
राजाधिरसर राजनिरुधिरसरो दणमिण्डपमणा
वरप्रवतला वरजीवविदारण
झारसंज्ञाय्पयु पसहितकम्म प्ररूपणकयन
ऊपरिराहकार पुत्राथहिमसीसणु
কাতার खग्ध अत्यहिबा
कयास्वादविदा परचिनजाण दिहनक
चन्तः । रुविंड्यलायमाणु णाम
करिदिविस्तारकर ए परखनसोपचश्यावमाण परकलेविपडिनागरिराय:य मकरछुरियाणिचहियेय मुगठण
सहोसहिसायसम्म हाहार हिडधुवन अववियूद्धपिसुपहिसकेछावणणासमभर किन चिरुहांतठणवादडधारिदंडटणामदडिमणियारितहातपाउत्तणठेवनियालिमणिमालि Raa
खरगोश, मेंढा, महिष और हरिणों के खून से गड्ढा खोदकर इस प्रकार भर दो कि जिससे मैं कल उसमें स्नान कर सकूँ।"
घत्ता-हिंसा-वचन और विधि सुनकर कुरुविन्द पिता को हाथ जोड़कर चला गया। सवेरे उसने बावड़ी बनवायी और कृत्रिम रक्त से भर दी॥२३॥
२४ सन्तुष्ट होकर राजा उसमें घुसा। स्नान करते हुए उसने जान लिया कि यह रक्त नहीं निश्चित रूप से
लाक्षारस है। मायावी इस पुत्र को मैं मारता हूँ। उसके मन में पाप की धूल प्रवेश कर गयी। उसने अपनी भौषण छुरी निकाल ली, मानो गज के प्रति बूढ़ा गज विरुद्ध हो उठा हो। उसके पीछे दौड़ता हुआ, गिरिराज की तरह ऊँचा वह राजा फिसल कर गिर पड़ा, और अपने ही हाथ की छुरी से अंग कट जाने के कारण मरकर नरक गया। सुधी के शोक से भग्न बन्धुवर्ग में हा-हाकार मच गया। और भी तुम अपने वंश के चिह्न को सुनो। जो मानो रूप में स्वयं कामदेव था, ऐसा बहुत पहले दण्डक नाम का शत्रुओं को दण्डित करनेवाला, दण्ड धारण करनेवाला राजा था। उसका अन्याय से रहित पुत्र मणिमाली
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jan3gpyog