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कायतविख्यमंदातवसरहामममियामहाकवासिरिमझमवसरणेनामतेवासमोपरिटी समतोरीबा२शाना
हिमगिरिशिखरनिकरपरिपीडिमधवलिता गगन मंडल घुलकमि
नातनोतिकतकतरुवातक्रसमसंकटोचि कसितपूणिकणासा
सरसरितामणिहविगतमधःक्षित रिदमतिर चित्रकारिलरवेशाजग
तस्तावकाशकवक सदण्णणिय परियण्णमईलोद
यंडिताराणीश्री
युसुगद ससूणिरालयह
मतीपासिवाइप माउलट
हकीवालिक अज्ञानप्रावसझना
मकरहिव यांकमलुङदीगडे - जायन्सविहाण प्रायहायज्ञवालपाडणयही अजुका रमिकरणिजसविणयहो सोगकिलेसर्यकपकालाहि त्रा जतिडणाडणिहालहिं पायामाणणिजतमाणमिल र अंडनहागपिधहआणमिजामिसणेविगतमरवजावदि पाडियसवणपराश्यतावहिं मणिहिवि
सन्धि २४ पुत्र और परिजनों के साथ वह मुझे लोचन-सुख देगा। हे पुत्री ! सुनो, राजा जो तुम्हारा मामा है, (वह) आज आयेगा।
तुम अपना मुखकमल मलिन मत करो। हे पुत्री, आज सुन्दर सवेरा हुआ है। आज मैं आये हुए विनयशील अतिथि वज्रबाहु के लिए करणीय करूँगा। तुम शोक के क्लेशरूपी पंक को धो डालो। हे पुत्री, तुम आज अपने पति को देखो। वे माननीय आये हैं, मैं उन्हें मानता हूँ और शीघ्र आधे मार्ग तक जाकर उन्हें घर लाता हूँ। मैं जाता हूँ, यह कहकर जैसे ही राजा गया वैसे ही पण्डिता भवन पर पहुँची। उसने मुनियों को भी
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