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धारामुनतंबुवाहचणा संगयासहवापाससामंतिणा निग्नलंमंदिनिक्वियंचल क्षवमाण ट्यालंपूणालाजलं हगाहा सिनिहहिविष्मायया दिवगंधवयकन्येपाटायोविजमालाऊ रंतमहदिमहतसमहागमतंपिसोरकाह दादोकालबजाववाल्ली गहाभूवनताम्रसे। दिप सोच यचारिधमणताणहर दंपरिचण्णेयजानगढ कारणमोकिंजणोकखएहो
सऊंसिरायपियाखवजेतूदीवसगलयहो उन्नरिहरमणमणहारहो मरविवस्वाच बजघप्रीमती
उबयरिख उपरिवणिंदहोनिमारिदाणवमासद्धिाय एपीवनिदानफलण
ब्रहोनासरियह साहंविहिविसंचियसवरियहननाणिया। दाइ निवसंत करकमलगुलियापितह सनस्त्रविण यांगत युणुविष्णुविठहत्पड़तह सन्नखलियापिटादयणइए दंतहं अवरोप्पूरूदरकलिकरंत पुणुसनाहिथिराईजायई गश्क्कसलाश्परिपुडवायई अवरहिमतहिंग्रलिनिहचिन्जर
निहिलंकलाकलावणिठणयर अनहिसनहिंदियहाद। पाढणवजावणसिंगारातशताऽतिगाउहंगसरीरशंवरखवलाहलमेचाहारशंसोविगाएंगे।
सोयमिगतः
जलधारा को विसर्जित करनेवाले मेघों की ध्वनि, संगत सुभग, पास में बैठी हुई स्त्री। णिग्गल मन्दिर, और कुरुभूमि में अनिन्द्य आर्जव नारी के उदर में अवतरित हुए॥१॥ पवित्र भूमिभाग, दौड़ता हुआ वेगशील प्रणाली जल। इष्ट गोष्ठियों और विशिष्टों के द्वारा विज्ञापित दिव्य गन्धर्वगान और प्राकृतकाव्य। बिजलियों से स्फुरित आकाश और दिशापथ, ये भी मेघों के आगमन पर उसे नौ माह में गर्भ से निकलने पर, शुभ चरित का संचय करनेवाले, उन दोनों के ऊँचा मुंह कर रहते हुए (श्रीमती को) अच्छे लगे। जब उसका बहुत समय बीत गया तो एक दिन, उसने घर में धूप दी। उसके धुएँ और हाथ की अँगुलियों को पीते ( चूसते) हुए सात दिन बीत गये। सात दिन घुटनों के बल चलते हुए फिरने उन्हें कानों के छेद में आहत कर दिया। उस दम्पति का एक क्षण में जीव चला गया। क्या मनुष्य मृत्यु फिर उठते-पड़ते हुए, सात दिन कुछ पद-वचन बोलते हुए और एक-दूसरे के साथ कुछ क्रीड़ा करते हुए बीत का कारण चाहता है? आयु का क्षय होने पर शिरीष पुष्प भी शस्त्र का काम करता है?
गये। फिर सात दिन में स्थिर, गति में कुशल और स्फुट वाणीवाले हो गये। और भी सात दिन में भ्रमर केघत्ता-वधू-वर दोनों मरकर जम्बूद्वीप के महा सुमेरु की उत्तरदिशा में रमण के लिए सुन्दर उत्तर से काले बालवाले और समस्त कलाकलाप में निपुणतर हो गये। दूसरे सात दिन में प्रौढ़ तथा नवयौवन एवं
शृंगार में रूढ़ हो गये। उनका तीन कोस ( गव्यति) ऊँचा शरीर था। बेर के समान उनका श्रेष्ठ आहार था।
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