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पंचशमलवटपरकरमुक्कातलं घानम्मिरंवरगोंदलं चक्किमणुणाणिसघल समरकोछ।
निमूहकरणी
शहरिसिळणे वक्षुपरिहवेवहमचा अतिवाडवलिदेवतारुहो सामवसतिलयस्ससम्मुहाखुध
फूटी हुई कंचुकी और खूटे हुए मर्दल (मृदंग), टूटे हुए कवच और खुले हुए बालोंवाला आघातों से घूमता हँसानेवाला, अपने भाई की हार पर ईर्ष्या धारण करता हुआ बाहुबलिदेव का पुत्र शीघ्र ही सोमवंश के तिलक हुआ, समूह छोड़ता हुआ, चक्रवर्ती पुत्र का सैन्य भाग खड़ा हुआ तब समर के लिए उत्सुक अप्सराओं को (जयकुमार) के सम्मुख आया।
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