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लाभस्त्रदणद इका।
कराकागश्याबजामजणणहरिसंकंटश्यठ मंतिवणुअवलासविसमाखमानिनस जावडमिनलालाबाहिरणवमुत्तहिंपत्तनमा एमालपघलियमदरहो विमिविसह धावनदिहफणिकिप्परससिरनिहिं सुरिउपयाहिपदंतशाक्षारश्वरचरुखहरोचाइल घुलमालाहित दिसपाध्यतणपडिल्वियमहिर्हिपडताना
हिरन्यवरमेकश्या
लिपस्तावबीमालाध हमलेखगकार्मिणिनिवडतो दिहालसमावजिअलिधारिणि मंकासंधियसरधोरण दोहिविधरिसईचप्पविचित्रश्या का लतविचलतनिवार दोहिंमिदिनदलियफर्णिदही ददल शस्त जकसमयणागाईदहो गठवरुजापचिवडमणहागिण तावादका तिरसंठियपिदकारिणि पहनायतासुदिकालिउ तणविताए
लहीहिनिहालिड जोपविशिनपरिककहाणा यनहसाखगतरुणिपदापी ससयणा पिउहरुपनएहान जोगाउंदहोबापर्डमावर कठनिवाडवडरनिमात्यहि रविगामारु अरहखगराहि दोदिविकतार्कलहरामधं पयलिमयम्मबंधघासमजाधत्ता परियला
पुत्री की गति को कौन पा सकता है ! जबतक पिता हर्ष से रोमांचित होता है और मन्त्री के वचन को देखने भ्रमरों को धारण करनेवाली पुष्पमाला इस प्रकार दिखाई दी मानो काम ने तीरों की माला का सन्धान किया के लिए जाता है और जबतक विद्याधर समूह जीत लिया जाता है, तबतक हिरण्यवर्मा वहाँ पहुँचा। हो। दोनों ने चित्तों को चाँपकर रखा लिया, दोनों ने गिरते हुए और काँपते हुए नेत्रों को धारण कर लिया, ___घत्ता-फिर सुमेरु पर्वत से पुष्पमाला गिरा दी जाती है और दोनों साथ दौड़ते हैं । शीघ्र ही परिक्रमा दोनों ने नागराजों को दलित करनेवाले मदनरूपी गजेन्द्र को लज्जा का दृढ़ अंकुश दिया। तब वर उस सुन्दरी देते हुए उन्हें नाग, किन्नर, चन्द्रमा और सूर्य ने देखा ॥६॥
को देखने के लिए गया, इस बीच में प्रियकारिणी आकर स्थित हो गयी। उसने उसका घट्ट उसे दिखाया। उसने भी अपनी तिरछी निगाहों से उसे देखा। देखकर वह पक्षी की कहानी समझ गया। यहाँ प्रमुख विद्याधर
युवती प्रभावती स्वजनों के साथ पिता के घर पहुँची। बहुतयों के निनादों के साथ आदित्यगति और वायुरति के हर्ष से प्रेरित, रतिवर का जीव (हिरण्यवर्मा) जहाँ माला गिरनेवाली थी, वहाँ पहुँचा। उसने रथ विद्याधर राजाओं ने ऐसा विवाह किया कि नागेन्द्र भी उसका वर्णन नहीं कर सकता। प्रेमसम्बन्ध से आकाश में विद्याधरी के समान नृत्य करती हुई और धरती पर गिरती हुई उस पुष्पमाला को ग्रहण कर लिया। प्रगलित बह रहा है पसीना जिनसे, ऐसे
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