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णजिन्ना सावमश्डदारियहेदिलातादडजामसुवषयारूसोयेचपडपिनणामसारु संगपिपर्क पियाजायएपणा जाणाविनरायालायषण सासिठसाविवसतासंजाटण्यहातणउलाधर पासकलावणजाडियालालयहोगहिणियपडिया परिस्कियमादिबमाणबाहा परसायरा दिगंदाणवदि सुग्धविकारागारपिठातहिंअवसरेकस्ताद जपचपहाणंदपुतणहहाकहविपामउदंडपदारहिंतादि उपधणलोलुबल सोलोलधन रानलेपविज्ञाडिठाराणु
सवातररचना वदविणासाकरिया कतिगाउपाधिकारियण सुशवा विविमर्द्धसन्तुजाय पाहाणेचारावानिययपायामुठलाहकेसा यमलमखुश्हड्यउपकनरिंदणउल्लनिसुणप्पिणमयम CANDAY करकरासनप्यिगयजमातराईवसंतवहतिणसवण सास लिणिपखवहिदास पदिषुदाणमणिमेहिं करकंडवाधाविसहरदमहिवडतो यसाबसदायपाहि परमारघडवरमध्याहिं ग्रहमराजमवइंजिणचरिंडा होसहिपयज्ञयणा वियपरिडासिरिमनदोसश्सयसरमा पहिलमजदाणक्लियरदेठ सुरणसहाईसंपाविहिनि एबह २
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सोने की ईंटें वेश्या को दे दी। जैसे ही सुनार उसे तोड़ता है वह उसमें राजा के पिता का श्रेष्ठ नाम देखता है। डरकर और काँपते हुए प्राणों से उसने यह बात राजा को बतायी। वेश्या ने सारा हाल बता दिया। वह फिर अत्यधिक धन की आशा से भरे हुए हलवाई ने 'तुम कहाँ गये थे, तुम दोनों मेरे शत्रु हुए' यह सारा धन राजा का हो गया। राजा के कुलचिह्न से जड़ी हुई नृपमुद्राएँ लोलुप रसोइए के घर जा पड़ीं। दूसरों कहकर अपने दोनों पैर कुचल दिये, लोभ कषाय से मैला वह मर गया। हे राजन्, देखो, यह यहाँ नकुल को डरानेवाले मानो दानवों के समान राजा के रक्षापुरुषों ने पुत्र को बाँधकर कारागार में डाल दिया। उस हुआ मधु के समान मीठे अक्षरों को सुनकर और गत जन्मान्तरों की याद कर ये उपशम भाव धारण करते अवसर पर हलवाई वहाँ पहुँच गया।
हैं। न इन्हें डर है और न क्रोध । शुभध्यान के द्वारा आज भी ये अपने दोष नष्ट कर रहे हैं। तुम्हारे द्वारा दिये घत्ता-उसने डण्डों के प्रहारों से लड़के को इतना मारा कि वह किसी प्रकार मरा-भर नहीं। दूसरे के गये दान को इन बानर, सुअर, बाघ और विषधरदम अर्थात् नकुल ने माना है। बहु-भोगभाव और पवित्रता धन के लोभी उस हलवाई को भी राजकुल ने नष्ट कर दिया ॥२०॥
प्रदान करनेवाली कुरुभूमि की आयु इन्होंने बाँध ली है। आठवें जन्म में तुम (वनजंघ) अपने चरणयुगल में देवेन्द्रों को नमन करानेवाले जिनवरेन्द्र होंगे। श्रीमती (मरकर) पहला दान करनेवाले राजा श्रेयांस (के रूप में) उत्पन्न होगी और फिर तीर्थकर बनेगी। ये देव और मनुष्यों के सुख को प्राप्त करेंगे और तुम्हारे
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