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दिसिमनुपहरणविष्णुपुरणहिंजिगिनिंगच चढपासहिंदीस महिदियंच गयमयजलधारहिसरत खादयलालगङनाचारकलखाल.गुरुयणधिनयतावचयाइनान्शयसाप्पणुसुयाइसहकार मिपाहिपकटामुहाएपडियसपसविसमठतापासमपथसुदरपपससरसामारामासराणवा सपछविधारणविसयणविड नियरवाहापहननारडाघवाइयारुविजनुपरल्लयदि यह उपलखड़यन युरणपरियपाहि कयतोरणेहि मंगलसमृदिदिला मिठनपान यामारुसद्धबड्यएसड्यन्धकुमारुलरकणवजणहिपूसाहियाइजमलश्परमासकारिया
वरतणयहाटाइसरिमय सललिटकचाश्वकश्मश्य पक्काहाणराण्डकावाईजान वश्लीलवाकसमयलासा
बज्ञासिंघका हासणसणतातकालाटाराकरणका
वनकोड वपणहालेश्रवलाश्सयमद्वाण विहिणाणिमिठदिछग उचंगासिहरुा. संस्हरसमायण सोनगरविदिविलीया माप चितपढगउवारिह जाए। समपलमहोदमितेन्चजाविधा।
रेलालवाहारिमसला लरकरावेजणगालसहिदि सावजूबपहाणा
अस्त्रों के विस्फुरणों से चमकते हुए मही दिशान्त चारों ओर दिखाई देने लगे। हाथियों की मदजलधाराओं से ताल भर गये। घोड़ों की लार से गम्भीर कीचड़ हो गया। गुरुजनों के वियोग-सन्ताप के कारण गिरते हुए पुत्री के आँसुओं को पोंछने के लिए दूसरी कामिनियों सहित उसके साथ एक कमलमुखी पण्डिता भेजी। जिसमें पास-पास मार्ग हैं, सरोवर सीमोद्यान और श्री का निवास है ऐसे सुन्दर प्रदेश को देखते हुए अपने स्वजन समूह को पूछते हुए राजा अपने भवन की ओर लौटा। ___घत्ता-सुन्दर पथ पर जाता हुआ दूसरा भी दिन उत्पलखेड़ में प्रविष्ट हुआ। पुरजनों और परिजनों ने तोरण बाँधकर मंगलों और तिलों के दर्शन किये॥२॥
अपने पिता के घर में वधू के साथ कुमार सुख से रहने लगा, मानो रति से रंजित कामदेव हो। लक्षणों और सूक्ष्म चिह्नों से प्रसाधित इक्यावन पुत्र-युगल (एक अधिक पचास) श्रेष्ठपुत्र श्रीमती से पैदा हुए, उसी प्रकार जिस प्रकार कवि-प्रतिभा सुन्दर काव्यों को जन्म देती है। एक दिन राजा वज्रबाहु, जो सुन्दर क्रीड़ाओं के लिए मेघ के समान था, सौधतल में सिंहासन पर बैठा हुआ था, तब उसने आकाशतल में चन्द्रमा की श्रेष्ठकिरण के रंग का शरमेघ देखा, मानो जैसे विधाता ने दिव्य घर बना दिया हो। ऊँचे शिखरवाले देवविमान के समान वह भी फिर विलीन होते हुए दिखाई दिया। राजा विचार करता है जिस प्रकार यह मेघ चला गया, उसी प्रकार मैं भी नाश को प्राप्त होऊँगा!
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