________________
महाचलसंसहाकिसअसचुअवजड जाणिवतसथावरजीवगश्तंणिगुणविजंपञहजश
हजेवदावेदाठिणसरहे धमजदयापारसवहे यासमससाणवखनकादहमरहवहासमिति अादित्पगतिरे तिळ्यरुता
गधिनदेससाहपुर जयस्चारणमहामा यासिरजत
नराकराजाश्रेषण प्रतिस्वयंबुलमंत्री पटरहमिद्ध
राणीसुदरीन महाबलराजाक वा म्मायाप्त
चम्मुविमुपुत्रु तपटप हावाहवाहामि
दोशालुधुपुत्र
स्पस्रीवर्मस्पराम पकिमविदेहि गंधिलविस सादररेणायि
विमुकरण पामसिरिसणसिरीपिलउ संदरिदविहदरिसिमपुलठ सहापदमुपत्नुअसचमुट वायठसिर खिमुणारिदउसोचङ्गपाणिजाणमणहा मासावश्सयलहापरियणहो। धन्ना सुहडनयु २२३
महाबल के बारे में बताइए कि वह भव्य है या अभव्य? यह सुनकर त्रस और स्थावर जीवों की गति को आश्रय श्रीषेण नाम का राजा था जो अपनी पत्नी सुन्दरीदेवी को पुलक उत्पन्न करता था। उसका पहला पुत्र जाननेवाले उनमें से जेठे मुनि कहते हैं- "इस जम्बूद्वीप के दक्षिण भारत में आगे प्रथम कर्मभूमि का प्रवेश जयवर्मा हुआ और दूसरा श्रीवर्मा जो मनुष्यों के द्वारा संस्तुत था। वह अपने माता-पिता के मन को अच्छा होने पर वह आसन्न भव्य विद्याधर राजा दसवें भव में तीर्थकर होगा। उसका जैसा भोगाशय है उसे छिपाऊँगा लगता और समस्त परिजन उसे चाहते। नहीं, उसका दुर्मोदपन तुम्हें बताऊँगा। पश्चिम विदेह के गन्धिल्ल देश में भय से रहित सिंहपुर में श्री का
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jan 405.org