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विहारलोसिवसहहोणामनिरुनीरस्यहोलिहागरसिरमालाधराणमधामहोतंकवालकरहाटका मकोहविसागणियस्हपासमिासदेसाहेबठपरिपालिउथप्पहप विडिडकहकर कहा। यमुश्वरसारकनिन्तासिधय सरयासरसासियानावलिकमरबासिला पछादिध्यसमा सियाधना मल्लम्पिगुमाएकणिमता देवानकायकवल्लङऋचण्णुदादेवचक्षणपन्न ताण्डबडादश्चाहदयणपहरएनासियमासिटारि उखडतर्ण कामजिगजगणवरिस
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निरामय सुख का नाम ही शिव है। किसी दूसरे त्रिशूली नरमुण्डों की माला धारण करनेवाले हाथ में कपाल लेनेवाले का नाम शिव नहीं है। क्षुधा, काम और क्रोध का नाश करनेवाली सुदर्शना के पास सुप्रभा ने व्रत चौदह रत्नों और प्रहरणों से शत्रुओं के सुभटत्व को त्रस्त और ध्वस्त करनेवाली धरती की प्रभुता का पालन किया, उसका वर्णन कविकथा के द्वारा कैसे किया जा सकता है? कानों और आँखों के सुखों अजितंजय ने क्षेत्र विभाग और पर्वतादि की अवधि बनाकर की। धर्म की घोषणा करनेवाली डुगडुगी पिटवाकर का नाश करनेवाले स्पर्श और रसना इन्द्रियों के स्वाद पर अंकुश लगानेवाले रत्नावली व्रत और रत्नत्रय से वह एक दिन समवसरण में गया। अपने दोनों हाथ जोड़कर उसने तीर्थंकर अभिनन्दन की वन्दना की और युक्त और बाद में संन्यास धारण करनेवाली
उनके आगे बैठ गया। वह मेरु के समान निश्चल मन स्थित था। उसने पाँचों आस्त्रवों के द्वारों को रोक लिया। पत्ता-उसने मनुष्य के कुनिमित्तों को छोड़ते हुए सुदुर्लभ देवनिकाय के अच्युत स्वर्ग में अनुदिश विमान विशुद्ध चित्त वह मुनि के समान समझा गया। वह देवों के द्वारा पिहितास्रव कहा गया। मैंने उस अवसर पर में देवत्व प्राप्त कर लिया।॥१२॥
माता और पुत्र का वृत्तान्त कहा और उसे सम्बोधित किया। मुनिधर्म को सुनने के कारण शान्त मतिवाले बीस हजार राजाओं के साथ, यह गुरुमन्दर मुनि की शरण में गया और मुनि होकर उसने मोह का नाश कर दिया।
चारण ऋद्धियों और सर्वावधिज्ञान की संसिद्धि से आलिंगित हुआ। क्षमा को प्राप्त करनेवाली वणिक् पुत्री For Private & Personal use only
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