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हणमहतो गुणीज्ञता पहचवहा सुमनाणवहाक्यंवदंडासतिस्सचंडाविलालनिषसाद इलक्षिमतासविउलेवळ्यालविलया अतिससस कहाणामुक्कासचिघहियषालनमा
हिरिणाहविचारणवाहही तहसुदारह तास्पारणाहहो सिरितसिरिएहसुरहर वासिणि चविसटपतियामविलासिमि सिरिमझ्यामतपुरुहहाशेणाकुमारहर।
कामविसपायसवेकमर्कितहेषाममि। वजदंतरजाल सुमितारामा
वमारहावेसुवमसामि तंघश्योभगवास ईसाइववियु
चाकूशनशिवतियाणरकशेपेक्जेवि शाध्ययनाट्य तिरुणिजाणुसंक्षणमणिविकरतिमथासक्षणाशरवाहियालेसरपुरकासुग्णयलाच आमतापुत्रीव
व्यमणशइन कासुपतिमासिकदांकनापासपीगस्ल पगुस्नण मारहराइचवहसूमावर
रामावलितरुणदाचावालाणाधिकरश्चप्रससासणु शिवलिगुवमरगपासण्यण यह विडयन्त्रणु अवसणासविसेणविसत्रण वाहमिजासुदेहीक सामजिकामडविन
महान् से महान् गुणो वज्रदन्त नाम का चक्रवर्ती राजा है जो सन्मार्ग का अनुकरण करनेवाला है। कृतान्त के की मुद्रा का अवतार मानता हूँ। पद्मराग मणियों की कान्ति की तरह चोखे और लाल उसके चरण क्या नक्षत्रों समान वह दण्ड धारण करता है और उसकी प्रिय पत्नी सती है।
की तरह शोभित नहीं होते। उस तरुणी के घुटनों के जोड़ों को देखकर मुनि लोग भी कामदेव का सन्धान घत्ता-लक्ष्मीवती वह लक्ष्मी के समान उसके विशाल वक्षस्थल पर लगी हुई शोभित है, मानो जैसे कर रहे हैं, उसके उररूपी अश्व-क्रीड़ा-स्थल के भीतर गिरी हुई किसकी बेचारी मनरूपी गेंद नहीं चलने क्रुद्ध कामदेव के द्वारा मुक्त भल्ली के समान हृदय में जा लगी हो।।६।।
लगती ! उसकी करधनी की गुरुता को देखकर किसका गुरुत्व और यश नष्ट नहीं हुआ! उसकी हृदयावली
और रोमावली युवकों के लिए कामदेव की अग्नि की धूमावली थी। उसका नाभिरूपी कूप रतिरस का शासन शत्रुरूपी हरिणसमूह को विदारण के लिए व्याधा के समान उस राजा का उस सुन्दरी से श्री के समान, था। और त्रिवलिभंग उसकी उम्र के भंग का प्रकाशन था। उसके स्तनों की सघनता से विटों की सघनता श्रीप्रभ सुरविमान में निवास करनेवाली स्वयंप्रभदेव से विलास करनेवाली (स्वयंप्रभा) श्रीमती नाम की कन्या (दुष्टता) अवश्य नष्ट होगी, विष से विष अवश्य नष्ट होता है। जिसका शरीर कामदेव की भूमि था, और हुई, जो कुमारों के लिए कामसूची के समान थी। कुंकुम सहित उसके पैरों का क्या वर्णन करूँ, मैं उसे कामदेव उसका हाथ शुभ कामकुण्ड के रूप में स्थित था।
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Jan Econo
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