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यसयगांउनिहलाययसिह याडलिगामचठिधरिहदगारमहुआतदसिवसिलवा करियणपाठ सोसकरिखुवापविठलखखविनोखलसंकल्लमोदलहरूविनवणेणसणिठेवल जोकरिखनखन्दा उसकलाबद्धकषणेवरकामिणिकर कजलणगिहिवयधाराणियवखिउसेवार नागया
शुणामतहिवापवरू सबकछियान्हेवावरू गदिमित्यादिविसउजायदानदिपतहासमा विदेहगधित Ann
a noयट सुणुमायणमणमोहालहवरसेपविजयसा सपाडली पुरगाम
थप धन्ना सिरिलहसिरिवाणितणावका नागदहाबाणिक
विहतिज्ञालकाया मामेनिन्जामिणिविसमा दानि हिणिजपवियिणगाव अम्हारउधरूमाखविये सशनिकलसटनासपुदीसशालहणुणेघणणा सेनहाणे निक्कयतापीरुवसारियर पारसक बुधवकहकलातेजिहतिदषुणनिरखका अह
माठदंडांडोपिया क्यखलखुणायमुहिश्राहारी कडियलबत्यिवकलवासईदडहरकफरूससिरकेसहदहजपाचाहिंसयपाइकहता।
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भूतग्राम (शरीर) की तरह प्रसिद्ध धन से समृद्ध पाटली गाँव है, जो वशी तपस्वी के समान गोरसाढ्य (गोरस पत्ता-और भी उसकी पत्नी से श्रीप्रभा (श्रीकान्ता), श्रीधर (मदनकान्ता) पुत्रियाँ हुईं, तीसरी मैं सबसे
और वाणीरस से युक्त) है, जो हस्तिपालक के समान, करिसन-जानउ (कर्षण और हाथी के शब्द के जानकार) छोटी नाम से निामिका विषम दरिद्रा और लोगों का बुरा करनेवाली॥१४॥ हैं, विशाल खलियानों से भरपूर होते हुए भी खलजनों से दूर हैं, हलधर होते हुए भी जिसे बलराम नहीं कहा जाता, जो हाथी के समान राजा के लिए ढोइय कर (कर देनेवाला, सँड पर ढोनेवाला) है, जो मानो हमारा घर मोक्ष से विशेषता रखता था। वह निष्कलश (कालुष्य और कलशों से रहित), नीरंजन (शोभा उत्तम कामिनी का हाथ था, वरकंकणु (बहुजल-धान्य से युक्त और स्वर्णवलय से युक्त) कच्छ से उज्ज्वल और कलंक से रहित) दिखाई देता है। मेघ के नष्ट होनेपर, नभ के आँगन के समान विद्धणु (धन और घन से जो मानो गिरिपथ की धारा के समान था, जो सेवक में रत के समान, निजवइ (अपने स्वामी, अपनी मेंढ़) रहित) तूणीर के समान जो निष्कण (अन्नकण) सारियरणु (युद्ध का निर्वाह करनेवाला, ऋण से निर्वाह की रक्षा करनेवाला था। उसमें नागदत्त नाम का वणिक् था, जो सुरति के समान अपनी वधू का प्रियवर करनेवाला) था। जो कुकवि के काव्य की तरह नीरस था, और जिस प्रकार वह, उसी प्रकार यह भी अलंकारों था। उसके नन्दी और नन्दीमित्र पुत्र हुए। नन्दीसेन भी उसके गर्भ में आया, फिर माता के मनमोहन, धरसेन से रहित था। आठ भाई-बहन। पीतल के दो हण्डे । खल और चनों की मुट्ठी का आहार करनेवाले । कमर तक (धर्मसेन) और विजयसेन पुत्र हुए।
वल्कलों के वस्त्र पहने हुए, निकले हुए स्फुट होउ, सफेद केशराशि। उस घर में हम दस लोग थे, आपस में
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