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जगगदियगृणुविधाकापोडाणिवाइविकरिकरदीदयालाचलवंधविशवलासयहंगम्य अतिवलिराजा
अविष्प्युक्लिनियसरहम् णासविलखणलरिकयसरीर सस हावेधारुधिपावती दूरविणियडन्वयारिखंबविपर बधलयारि सालिममणविदढचित्रवित्ति बकपालिरावि दिसधित किनि अश्सविरदिनसमस्चारु गरवाविरुद्ध लडविण्यसार सगविजिणगाडजयालकावासविख रदहणत सुपसवविचरणमणहिणिय ठाणवितरपहिी समशता जोमहिमाइस्युरिसहरि महिमाविमुखवपविर
काय जोहिमाणवसयण जोरिखमाणदेवसजायना It पम्मसलिलकबोलमाल मटणहोकेराधमलालू पंचितामणिसदिसाकाम रणतिजगत फपिसोहग्नसीम परवलणसंधानवाणिहियाहारिलायमाथि पंधरसरहासागरश्व हिल्लि धरमहिरुहमंडाणमलिणघरचणदेवमाथिसति पंधरकण्ससहरविवकति घर मिखिासिपिजखिपविणलोयवसकरिमंतसति महावितासुघरकमललळिणामणमणोहरल १८
के नेत्रों से देखता था। एक स्थान पर स्थित होकर भी वह उनके नेत्रों से घूमता था।
घत्ता- जो पृथ्वीरूपी लक्ष्मी का घर, पुरुष श्रेष्ठ महिमावान् और विश्व में विख्यात था। जो अभिमानवाला, सुजन और शत्रु के लिए मानवाला था॥८॥
जग के द्वारा गृहीत-गुण होने पर भी जो अक्षयगुण-समूहवाला था। जो निर्वाह (बिना बाँह, बिना बाधा) होकर भी गज की सूड के समान बाहुवाला था। जो बलवान होकर भी सैकड़ों अबलों के द्वारा गम्य था। राहु न होते हुए भी (अविडप्प) जो सूर्य के तेज का उल्लंघन करता था, (फिर भी विटात्मा नहीं था), ईश नहीं होते हुए भी उसका शरीर लक्षणों से लक्षित था। अपने स्वभाव से धीर होते हुए भी वह पापों से भीरु था। दूर होकर भी वह निकट था। शत्रु का नाश करनेवाला और रतिवन्त होकर भी परवधुओं के लिए ब्रह्मचारी था, श्रुत (काम और शास्त्र) में पूर्णमन होते हुए भी जो दृढ़चित्तवृत्तिवाला था, जो बहुपालितों (वेश्या को ग्रहण करनेवाला होकर भी) दूसरे पक्ष में (वधूपालक होकर) दिशाओं में कीर्ति फैलानेवाला था। स्वच्छ होकर भी वह स्वमन्त्राचार से रक्षित था। गुरु (महान्) होकर भी गुरुओं के प्रति छोटा और विनयशील था। संग्राम में अजेय होते हुए भी वह संगर (रोगसहित) होकर भी युद्ध में जीतनेवाला था। लक्ष्मी का निवास होते हुए भी वह तीव्रदण्ड को जानता था। सुषुप्त (अत्यन्त सोता हुआ, अत्यन्त नीतिवाला) होकर भी चरों
उसकी मनोहरा नाम की कमलनयनी गृहकमल की लक्ष्मी महादेवी थी, जो मानो प्रेमसलिल की कल्लोलमाला, मानो कामदेव की परमलीला, मानो कामनाएँ पूरी करनेवाली, चिन्तामणि, मानो तीनों लोकों की रमणियों की सौभाग्यसीमा, मानो रूप-रत्नों के समूह की खान, मानो हृदय का हरण करनेवाली लावण्य योनि, मानो घररूपी सरोवर की रतिसुख देनेवाली हंसिनी, मानो घररूपी वृक्ष को अलंकृत करने की लता, मानो पापों को शान्त करनेवाली घररूपी वन की देवता, मानो घररूपी पूर्णचन्द्र की पूर्ण बिम्बकान्ति, मानो घररूपी गिरि में रहनेवाली यक्षपत्नी और मानो लोगों को वश में करनेवाली मन्त्रशक्ति थी।
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