________________
कलसासिषक
HOTO
कामिणथणसिहालिंगणेहिउजा पहिंजापहिवाणहिताधरकर काश्यसिरियामयधणासरगाह यहिं उछलियपयघडियारवाल सायासनहोनहोजाइकालु पदमि चमहामणिहयसति वायसंहि ममतिमति तिजउसयमश्वद्धरि छिरिडु सईखदुमजग्मसिद्धा
तातिषणाहिविष्मवित्र बक्तिरूणेर्दिधाश्ठ सायरुवड सरिवाणियहिं विसयसहहिमिजाउ वराय॥श जिहयामाकर्सहफंस णिण सलामणपियमुहसणणं तिह
यत्ता-उसने राजा से कहा-"क्या तरुतृणों से आग, अनेक नदियों के जलों से समुद्र तथा विषय सुखों से बेचारा जीव तृप्त होता है?"॥१२॥
कामिनियों के स्तन-शिखरों के आलिंगनों, उद्यानों, यानों, बाहनों, वीणाओं और पुष्कर वाद्यों के द्वारा बजाये गये स रि ग म प ध नी स्वर गानों के द्वारा भोगासक्त उसका, उच्छलित और आहत घटिकारूपी आरों का पालन करनेवाला काल बीतने लगा। उसका पहला मन्त्री भ्रान्ति को नष्ट करनेवाला महामति था, और दूसरा संभिन्नमति था। तीसरा स्वयंमति और चौथा विश्वप्रसिद्ध स्वयंबुद्ध।
१३
जिस प्रकार अँगुलियों के खुजलाने से खुजली बढ़ती है, उसी प्रकार मुनि के सम्भाषण-प्रियमुखदर्शन के द्वारा
Jain Education Internaan
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org