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महिनणावश्चवरं विाि जोपारिथामचंपयक्कयंचमुचर्कदकंदमंदारसारसरिधगधामुगुमिया
मरातामिळनयमारकारकलहंसकरलकारंडकोश्लाराघरमोशाओमतदतिगडयलगालि गंधलिनामिवंश वमनप
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यमयन्त्रणबिंडचित्रलियवारिवियरतण्हततिरसिदकामिणासिद्धिपघुसिणपिंगलियफणसोहिदासी रेता जोविविधलफललटियन्त्रकासुरहिपरिमलामायासिनसमारलकहालणावमा
जो मानो धरतीरूपी वधू को आलिंगित करके स्थित है।। ४।।
मदवाले हाथियों के गण्डस्थल से झरते हुए मदरूपी घी के बिन्दुओं से रंग-बिरंगे जल में विचरण करती और नहाती हुई देवांगनाओं के स्तनों के केशर से पीले हए फेन से जिसके सरोवरों के किनारे शोभित हैं ॥२॥
जिसके सीमामार्ग विविध धान्यफलों से झुके हुए क्षेत्रों के कणों के सुरभित परिमल के आमोद से चंचल पक्षियों के समूह से कुद्ध कृषकबाला के द्वारा किये गये
जो पारिजात, चम्पक, कदम्ब, मुचकुन्द, कुन्द, मंदार, सार और सैरन्ध्र के पुष्यों की गन्ध से गुनगुनाती हुई भ्रमरावली, और मिलते हुए बया, मयूर, कोर, कलहंस, कुरु, कारण्ड तथा कोयलों के शब्दों से सुन्दर हैं ॥१॥
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