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हड़तगोड़िसाहतगाहोपाजोषसहसिंगखटाखालमहियखतखिमसरसथलकमलमदमनरदर्षजपि जरियनगणनाइरोहपारोहडालडोलायमापजरकाविचपियासमपामरोहा जोखमरचवद
यपडियापिकमायदोधावंतवाणगसकधीखकारतसियणासतरावरमणापमानपविलजिमण नरालयमरणसमरिरचनाहरताजिओस्तवलकालाधिनलपहाणमन्नाणवसतगामपुर
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जहाँ वृषभों के सींगों से क्षत गड्ढेवाली धरती से उछलते हुए सरस स्थलकमलों (गुलाब) के मन्द पराग-समूह से पीले और ऊँचे वटवृक्षों के आरोहों-प्रारोहों और शाखाओं पर झूलती हुई यक्षिणियों के कारण निकटवर्ती पामर जनसमूह लुम हो गया है॥६॥
जहाँ पक्षियों की चोंचों से आहत पड़े हुए पके आमों के गुच्छों के लिए दौड़ते हुए वानरों के द्वारा मुक्त
धीर बुक्कार ध्वनियों से त्रस्त और भागती हुई राजरमणियों के पैरों के अग्रभाग से गिरे हुए नूपुरों को लगी हुई हेमरल-किरणों से लताघरों के मध्यभाग स्फुरित हैं॥७॥
जिसके भूप्रदेश, मुर्गों की क्रीड़ा विस्तार की उड़ान की सीमा में बसे हुए गाँव, पुर,
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