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विद्यारससिमलदंगा निक्छनचाहादिकाश्यपयंगाजविंटवरिदमिदतीमा खसकालकाला हिंकाराहिरामाशेला यसरदाहिमपासरिख आप्तसममतिहिंसामतहिं तानवालिमचारेही विवियनवाइनलिवनदि परियाजलेण्णकुमाहापदचाउनुगधरणतयावाकारमयर पसायिचंडसोड सिमपंडरीसडिडीरपिंडालायमपनगवारघासुकुम्वन्चाइहरयणाहवासासंदा
णवाहिथसम्मूचवलायचंगमतपादालविउलाजसमाति यमडियतिजगतीरुश्राणयिनियस्वनुहहीरुध्यवरजाल
यरपरिघुलियरंसुदूरदरनिहितमलोहय शुधरिदेवअसि वाडवलिका
असउड कबिननवश्वलसमुटु सुविचित्रवनपनिमसरण इतवातकथन
ताबवाढवलासरण हंगकुवारिकंपनरलपाहि किका नहायग्नयजीचगणहि दिडायवादरहि किखड़ा
खगवजविसहरादकिकरमवापाजणमहरतिगामान
मदहोर्विकरतिकारशकिमयागादिलाण पतविर्तिमा डामतिमाणुयाविषयणसमासरमिनायाखारदिपंथनिरूविधादनहाणिवसाय सप
चिक्कारों से भुजंग भयभीत हो उठे। नृपछत्रों की छाया से सूर्य आच्छादित हो गया। जो यक्षेन्द्रों, विद्याधरेन्द्रों तीर को मण्डित करनेवाला, अपने कुलरूपी चन्द्र को आनन्दित करता हुआ, ध्वजपटों के जलचरों से व्याप्त और मानवेन्द्रों से भयंकर और क्षयकाल की क्रीडा को अपनी क्रीडा से विराम देनेवाली थी।
शरीर, अन्यायरूपी मलसमूह को दूर करनेवाला तथा तलवाररूपी मत्स्यों से भयंकर है।" तब सुविचित्र पुंखों घत्ता-इस प्रकार जब भरताधिप मन्त्रियों और सामन्तों के साथ निकला तब वैतालिकों और चारणों से विभूषित तीरोंबाले बाहुबलीश्वर ने कहा- ऐसा क्यों कहते हो कि मैं अकेला हूँ और शत्रु बहुत हैं? ने प्रणाम करते हुए बाहुबलि से निवेदन किया।॥३॥
क्या तुम काल के आगे जीव की गिनती करते हो, क्या आग तरुवरों के द्वारा जलायी जा सकती है? क्या
नागों के द्वारा गरुड़ खाया जा सकता है? क्या काम के बाण जिनमन का हरण कर सकते हैं? सियार सिंह "हे देव, तुम्हारे ऊपर सैन्यरूपी समुद्र उछल पड़ा है, जो परिजनरूपी जल से धरती और आकाश को का क्या कर सकते हैं? क्या नक्षत्रों के द्वारा सूर्य आच्छादित किया जा सकता है? प्रवर शत्रु भी मेरा मान ढकता हुआ, उत्तुंग तुरंगरूपी तरंगों से युक्त, हाथीरूपी मगरों से अपनी प्रचण्ड सँड उठाये हुए, श्वेत छत्रों मलिन नहीं कर सकता। के फेन-समूह से युक्त लावण्य (सौन्दर्य और खारापन) के प्रचुर गम्भीर घोषवाला, दुर्गम चौदह रत्नों से घत्ता-मैं एक भी पैर नहीं हटूंगा, और नाग के आकार के तीरों से मार्ग को अवरुद्ध कर लूँगा। आते अधिष्ठित, रथों के बोहित्थ-समूह से चपल, पंचांग मन्त्ररूपी पाताल से विपुल, यशरूपी मोतियों से त्रिजगरूपी हुए राजारूपी समुद्र
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