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| साचिदजो जिणचरूमद सो सोचिन ज़ोनबुकहरु सोसो निठ ओोणड्डूलाई सोसोनिउ जोपसाठ हण्ई। मोसो त्रिउ जो दिग्वयाई सोसो तिन जोपरमळ सोसो तिजोमाणस, सोसोति जाण सुदूणे लसइ सोसोत्रिजयाप हेथवश सोसोन्निजामतवें तव सोसोनिज्जो संत वश् सोमात्तिनजेोयमिकू चव सोमो चिजण मज पियइ सो सोचिन जो बारइकराइ सोसो तिन जोजि एादेसियन पापासति करियलिसिजन छन्ना जो तिल कप्पास दझदिसेसई इणेविदेवगह पीई पसुजीवण मार मारामार पराप्युविसमा सो सोहि जाणमुपकुजिहाल एका इंदिरा संतेतिह, वृष्णासम कोडि चंडा दिय गुणगणापला चिटाई दिमाताई सुद्धा समई सेण्पिणु दूर कष्मासयर दिपाताई परती राई सिय सुमईसि चयणारियई दिशा इताहमणिराइयई कटिक डेटा मन्डाइयई दिमाता मणमा ई घट पूरणदगो हाई दिलाईता दिसताई व यगमरहनडुरई दिपातादजिय मुसहर एकण सरियश्शवचिदश्घर५ दिपाताईकरलरधर १८६
सरथचक्रवन्ति। ब्राह्मणदानंद चा।।
ब्राह्मण वह है जो जिनवर की पूजा करता है, ब्राह्मण वह है जो सुतत्त्व का कथन करता है, वह ब्राह्मण है। जो दुष्ट कथन नहीं करता, ब्राह्मण वह है जो पशु का वध नहीं करता, ब्राह्मण वह है जो हृदय से पवित्र है, वह ब्राह्मण है जो मांस भक्षण नहीं करता, वह ब्राह्मण है जो स्वजन में बकवास नहीं करता। वह ब्राह्मण है जो लोगों को सुपथ पर लगाता है, वह ब्राह्मण है जो सुन्दर तप तपता है, वह ब्राह्मण है जो सन्तों को नमस्कार करता है, वह ब्राह्मण है जो मिथ्या नहीं बोलता, वह ब्राह्मण है जो मद्य नहीं पीता, वह ब्राह्मण है जो कुगति का निवारण करता है, वह ब्राह्मण हैं जो जिन भगवान् के द्वारा उपदेशित त्रेपन क्रियाओं से भूषित है।
घत्ता- जो तिल, कपास और द्रव्य विशेषों को होमकर देवों और ग्रहों को प्रसन्न करता है, पशु और जीव को नहीं मारता, मारनेवाले को मना करता है। पर को और स्वयं को समान समझता है ॥ ६ ॥
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जिस प्रकार उस एक ब्राह्मण को जानते हो, उसी प्रकार लाखों ब्राह्मणों को समझो। उन्हें वर्णाश्रम की परम्परा में सबसे ऊपर रखा गया, गुणों के गणना भेद से उन्हें माना गया। उन्हें शुद्धभाववाली सैकड़ों उत्तम कन्याएँ विभूषित करके दी गयीं, उन्हें नदियों के दूरवर्ती किनारे दिये गये जो श्रीसुखमय थे और जलों से सिंचित थे। उन्हें मणिरत्नों की राशियाँ दी गयीं। कटिसूत्र, कड़े और मुकुट आदि दिये गये। उन्हें मनमोहन घड़ा भरकर दूध देनेवाली गायें दी गयीं। उन्हें देशान्तर, अश्व, गज, रथ और सफेद छत्र दिये गये। उन्हें चन्द्रमा को जीतने वाले, धान्यकणों से भरे हुए विविध घर दिये गये। उन्हें करभार धारण करनेवाली धरती
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