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इयसमउणरेंदे तारायणुचलिसडचेद तेहिकसायविसाय विज्ञान संधु सिरिवाद्रवलिलडार उ राय चकुवतणुपरिगणियन कम्मच आणाणा लेडपियन देवचकुसुमावश चक्रुवि चक्किदेवपुलावर पदिईसरिरान वह मुविकोर होकर जावरा सिणिरुसवे दिंडंती विझरलो दिवि वरेक्विडती सोयासनादसह दिग्कले विनिजिन वम्मा सरु को फिरल मनुशसमा बइंजेसं ? के वलिहिपहावं यमभुगतेंबुद्धिसमिदें। देवेन द्दियन खण
राजा लोग नरेन्द्र के साथ दौड़े। तारागण चन्द्रमा के साथ चले। उन्होंने कषाय और विषाद को नष्ट करनेवाले आदरणीय बाहुबलि की स्तुति की " आपने राजचक्र को तिनके के समान समझा, कर्मचक्र को ध्यानाग्नि में आहुत कर दिया और देवचक्र आपके सामने दौड़ता है, चक्रवर्ती का चक्र सुन्दर नहीं लगता है मुनि, आपको देखने से राग नहीं बढ़ता, आपको छोड़कर कौन निश्चितरूप से नष्ट होती हुई और विधुर समुद्र
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के विवर में पड़ती हुई जीवराशि को नरक से निकाल सकता है? पृथ्वीश्वर ने काम की आसक्ति से दीक्षा लेकर कामदेव को जीत लिया। तुम्हारे समान किसे कहा जा सकता है? आप मुण्ड केवलियों में प्रमुख हैं।" इस प्रकार बुद्धि से समर्थ इन्द्र ने स्तुति करते हुए आधे पल में विक्रिया से—
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