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णारजयलाणंगरुडेंदाविनमखजमल केणनिकहिटकरखाल एमेहेंदरिसिउविजदंड सुद्धका सणश्परहणामाणिकटमसामिदकरतजपढ़चहपभरिन्दमिधासासणसटॉरकिंकार। शक्यारु अवरुडाहलकददहिहछ कोजाणघुसजाउकश्रायट्रिपडदपसाउनहिरण्ड। शमिश्रजवाहितहिंघासासकाविमदासहसपत्रपकातणयवाहमुशामाणियविण्यात परिणाअकासासदाणणाचसहामाया राईकाविसकयवाणमहहिशसडयरुकग्मिदा
वाडवलिसैन्य
चडिन।
पत्ता-कोई महासुभट कहता है कि हे कान्ते ! छोड़ो-छोड़ो, मैं कुछ भी सुन्दर (अच्छा) नहीं करूंगा। बाहर निकलकर मैं अपने शिर के दान से राजा के ऋण का शोधन करूँगा॥५॥
तरकस युगल इस प्रकार बाँध लिया मानो गरुड़ ने अपने पक्षयुगल को दिखाया हो। किसी ने अपनी प्रचण्ड तलवार निकाल ली मानो मेघ ने विद्युदण्ड का प्रदर्शन किया हो। कोई योद्धा कहता है आज मैं शत्रु को मारूँगा और स्वामी को निष्कण्टक राज्य दूंगा। स्वामी तुच्छ है और शत्रु प्रवर है, तो मैं भी धोर हूँ, हे सुन्दरी, क्या विचार करना? जल्दी अपना हाथ दो और आलिंगन करो; कौन जानता है फिर संयोग कहाँ हो? मैंने अपने जिन हाथों से प्रभु का प्रसाद लिया है आज मैं उन्हीं हाथों से युद्ध करूँगा?
कोई सुभट कहता है कि जिनके मुख में घाव कर दिये गये हैं, ऐसे गजसूडों से यदि मेरे उरतल का भेदन कर दिया जाता है,
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