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इंस्था-उपमा
मुपडिवोजसढछकासुकिरखज्ञशपश्मवितिकायकोवान अमकवयुपञ्चकुशणंगठ
अणुकवणुाजणपसकापेमण कधपरकियणिवसासणाचनाससिसूरहोमदहमदरह। पिते दहोन्डअपारमाधरराकहाणदाणविसबाहणायिवहालावमिवासनाशाखंडनलपणाप बकि दिहायसरासनियचिसिखाणिणानिमितनजनशतपेल्लिविमिनमा तयवदिख
नामकरिमकवधवा लिणवरतणयातिजगमणसंसवाया मजाइमझायारिपश्सदिचजमुईसिंहासणवश सहिपहनिबंधमितालगुहारण अक्ककिनिजावट किरण एवहिरडकरतउमजमि गवहिपरमक्षिकपया
दिवजमि एवदिशंदनाचइविवजमि एववियुगुण वाहवलिपति
पाउसमजमि रावाहिकम्मनिवेषणसँडमि एवाजा सरथुक्षमावण
पाणविसजमिचिनाबंधववर्णवासहोण्हवविध राणमाईरसरलते मशवजिससाणेण साये
रकाऽनिटाताधा सहणकरुणसजापर्कपश्तणि सुणविसरदाणुर्मजप अध्यक्ळहमासिसुन्नसहकालिक तश्योंकिम्मपमिपरितालिट मन्सुधि ।
शान्ति को स्वीकार करता है? विश्व में किसके यश का डंका बजता है? तुम्हें छोड़कर त्रिभुवन में कौन भला होगा। इस समय राज्य करते हुए मैं लजाता हूँ। अब मैं परम दीक्षा ग्रहण करूँगा। इस समय इन्द्रियों के प्रपंच है? दूसरा कौन प्रत्यक्ष कामदेव है? दूसरा कौन जिनपदों की सेवा करनेवाला है और दूसरा कौन नृपशासन को छोडूंगा। मैं इस समय पुण्य या पाप का आदर नहीं करूँगा। इस समय कर्मों के निबन्धन को नष्ट करूँगा। की रक्षा करनेवाला है?
इस समय योग से प्राणों का विसर्जन करूंगा। घत्ता-शशि सूर से, मन्दर मन्दराचल से और इन्द्र इन्द्र से उपमित किया जाता है, परन्तु हे नन्दादेवी- घत्ता-हे भाई, मैं वनवास में प्रवेश करूँगा। धरती के मोह रस से भ्रान्त अपयश के भाजन इस जीवन पुत्र, एक (केवल) तुम्हारा दूसरा प्रतिमान (उपमान) दिखाई नहीं देता" ॥३॥
को जीने से क्या?" ॥४॥
"जो तुमने दुर्वचनों से मेरी निन्दा की, जो दृष्टि से क्रोधपूर्वक देखा, जो सरोवर के पानी से मुझे सिक्त किया, और जो लड़ते हुए ठेलकर गिरा दिया हे मेरे भाई, उसके लिए तुम मुझे क्षमा करो, आओ और अयोध्या के लिए जाओ, तुम आज भी सिंहासन पर बैठो, मैं तुम्हारे भाल पर पट्ट बाँधूगा । यह अर्ककीर्ति तुम्हारा जीवन
"सज्जन की करुणा से सज्जन द्रवित होता है।'' यह सुनकर भरतानुज बाहुबलि कहता है-"जब मैं शैशव में तुम्हारे साथ खेलता था, तब क्या तुमने मुझे नहीं उठाया था!
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