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अबिनधः
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वाडवद्धितरख
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सन्धि १८
धरतीरूपी वेश्या का उपभोग किसने नहीं किया? यह उक्ति ठीक ही है कि राज्य पर वज़ पड़े। राज्य के लिए उस धीर ने आकाश लाँघ लिया, मन्दराचल को चला दिया, सागर को माप लिया और ब्रह्मा के (आदिनाथ पिता को मारा जाता है, भाई लोगों में विष का संचार किया जाता है, जिस प्रकार भ्रमर गन्ध से नाश को के) पुत्र भरत को हाथ में बालक की तरह उठाकर फिर से स्थापित कर दिया।
प्राप्त होता है, उसी प्रकार राज्य से जीव विनाश को प्राप्त होता है। भट, सामन्त, मन्त्र, मन्त्री आदि के रूप
में किया गया विभाजन विचार करने पर सब पराया प्रतीत होता है। चावलों के माँड़ के लिए अज्ञानी राजा जब बाहुबलि ने प्रभु को अधोमुख देखा तो उसे लगा मानो हिम से आहत शरीर कमल-सरोबर हो, नरक में क्यों पड़ते हैं ? इस राज्य में आग लगे, यही (राज्य ही) सबसे बड़ा दुःख है। यदि इसमें सुख होता जैसे दावानल से दग्ध कान्तिरहित वृक्ष हो, वह कहता है-"मैं ही निकृष्ट हूँ जिसने अपने ही गोत्र के स्वामी तो पिताजी इसका परित्याग क्यों करते? सुख की निधि भोगभूमि, सम्पत्ति पैदा करनेवाले वे कल्पवृक्ष और भरत को अपमानित किया। हा! मेरे बाहुबल ने क्या किया कि जो वह सुधियों का दुर्नय करनेवाला बना। वे कुलकर राजा कहाँ गये?
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