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तालणियंसठणामझरकेत्रणा एकहिमिजाया जेपरदविणक्षारिण कलहकारिणो सेज यमिमरामा बाहजनसिखसझिाइएणणाश्मनहासादिकारोघळवमुचारुयोराण
पिबद्धपणविज्ञणियापणिशमिगडभिगेपजियामिसहियाभूपयहामणुपण जिवसारकाकखण्जकरणपिप एकहोकरीश्राणस्नयि ताणिवसतितिलालगविनासाह होकरविंडपदिहल माणसंगवरिमरणुजवित परमसुङ्मश्लाविश्रावनण्रधान तहाईसमि संभारामवखाणेविडसमि सिदिसिहाहदेविंडविणसहरमकप्तणसियहोबिसि
कोविसह एवजेपर वारुपरिंटहो जयश्सरसरणजियाईदहावा संघमिलहमिर सूरथचक्रवत्रिया सिपादनमूरनगय
गथप्पडठाबलभिमुहहरणमन्तर पचवावनदावेदना
इवल्ल मडवाइवलियम्तशावयाचारणाला ताइवर तलकारियो
विणिग्राणियगडीतम्मिनिमनिवासी सोविन्नवश्याम ध्यानाया
रसारसायरापणविनमहायला विसमदेववाडवलियर सरु णेवणसंधश्रधश्गुणसभाकक्षपावधवंधश्परिणाम
हवाजवलिकावा
के बाण को कौन सहता है? राजा का एक ही परोपकार हो सकता है कि यदि वह जिनेन्द्र की शरण में चला जाये।
घत्ता-संघर्ष करूँगा, गजघटा को लोटपोट करूँगा और रणमार्ग में सुभटों को दलन करूँगा। राजा आये और मुझ बाहुबलि के आगे बाहुबल दिखाये"॥२१॥
तब कामदेव बाहुबलि युक्ति के साथ कहता है-"चाहे यहाँ, या और कहीं विश्व में जो कलह करनेवाले और दूसरों का धन अपहरण करनेवाले हैं, वे ही राजा हुए हैं? बूढ़ा सियार शिव की बात करता है, जैसे यह मुझे हँसी प्रदान करता है, जो बलवान् चोर है वह राजा है, और जो निर्बल हैं वे निष्प्राण कर दिये जाते हैं। पशु के द्वारा पशु का मांस अपहत किया जाता है और मनुष्य के द्वारा मनुष्य के धन का अपहरण किया जाता है। रक्षा की आकांक्षा से व्यूह रचकर एक की आज्ञा लेकर वे राजा निवास करते हैं। लेकिन यह बात त्रिलोक में गवेषित है कि सिंह का कोई समूह दिखाई नहीं देता। मानभंग होने पर मर जाना अच्छा है, जीना नहीं। हे दूत, यह बात मुझे बहुत अच्छी लगती है। भाई आये, मैं उसे आधात दिखाऊँगा और सन्ध्याराग की तरह एक क्षण में उसे नष्ट कर दूंगा। आग की ज्वालाओं को देवेन्द्र भी नहीं सह सकता, मुझ कामदेव
तब दूत अपने नगर के लिए गया और वहाँ राजा के निवास पर लक्ष्मी और पृथ्वी के आकर राजा से सादर निवेदन करता है-'हे देव, बाहुबलि नरेश्वर विषम है, वह स्नेह नहीं बाँधता, गुण पर तीर बाँधता है (संधान करता है); वह कार्य नहीं बाँधता, अपना परिकर बाँधता है;
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