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सोपणवनकोसोसमर्शमदिखेडेणकणपरमुपकिंजम्मागविहिअदिसिविनाधिमंदगिनि सिहोसमचिन तिहारनपसुखणचिउ सिरिसशरणियपसारामचिनचकूदततासुजसार
मङपूपणकत्सारडोकलाकरिस्चररहवासियरहाणरणिदणमिरणाविमहारदसर डलरकिमयायस तापकजपथराइजिपवलासातहोमणिमङ्यायपणदारूचा शजिर्णिदादीप अनिष्टनपटायमिसिहिसिहाहालक्ष्णसरध्याविषनाराणयारणालाता वृण्णापियाँक्सिविप्पिय सस्मिाकमारा वाणासरहपसिया पिंहसिया हॉतिडशिवा राना पचरणकि मेरुदलिडर किंखरामायगुखालाइ खजाएरविणिनाश किंधो?
जलहिसासिझाइमायापकिंगडमाणिझाइमाणकिलिपुजायज्ञशवायसणकिंगरुड निरुशावकमलाणकलिमुकिविश करिणार्किमयारिमारिजाश किंवरहणयाघुदारिश किंहसंससंशवलिजर किमाणकालकवलिङ्ग दिहणकिंसप्पडसिजा किंकम्मणा सिद्धधसिकिनकिंपासासेलामणिहियार विपश्रवणादिजियाशाधता होहोउपडन जपिण्णारामचनप्परिदमशकखालहिसूलहिंसवलहिं परपस्तंगणेलनहार श्रारणाला ध्य
मैं उसे प्रणाम करूँ, वह कौन है? धरतीखण्ड से कौन-सी परम उन्नति कही जाती है। क्या जन्म के समय, होंगे। पत्थर से क्या सुमेरु पर्वत दला जा सकता है? क्या गधे से हाथी स्खलित किया जा सकता है। जुगुनू देवों ने उसका अभिषेक किया? क्या सुमेरु पर्वत पर उसकी पूजा की गयी? क्या उसके सामने सुरपति नाचा? के द्वारा क्या सूर्य निस्तेज किया जा सकता है? क्या छूट से समुद्र सोखा जा सकता है, गोपद से क्या आकाश वह स्वेच्छाचारिणी लक्ष्मी से इतना रोमांचित क्यों है? वह चक्रदण्ड उसी के लिए श्रेष्ठ हो सकता है, मेरे माया जा सकता है? अज्ञान से क्या जिन को जाना जा सकता है, कौए के द्वारा क्या गरुड़ रोका जा सकता लिए तो वह कुम्हार का चक्का है। हाथीरुपी सुअरों और रथवररूपी छकड़ों के जो भी महारथी मनुष्य हैं, है। नवकमल से क्या बज़ को बेधा जा सकता है? हाथी के द्वारा क्या सिंह मारा जा सकता है? क्या बैल उनको मैं मारूंगा? भरत मेरे भुजाभार का क्या अपहरण करेगा? बह तभी बच सकता है कि जब जिनबर के द्वारा बाघ विदीर्ण किया जा सकता है? क्या मनुष्य के द्वारा काल कवलित किया जा सकता है? मेंढक की याद करता है?
के द्वारा क्या साँप डसा जा सकता है, क्या कर्म के द्वारा सिद्ध को वश में किया जा सकता है? क्या विश्वास घत्ता-उसकी धरती और मेरा पोदनपुर नगर, दोनों आदिजिनेन्द्र ने दिये। यदि वह स्वीकार किये हुए से लोक को आहत किया जा सकता है? क्या तुम्हार द्वारा भरत नराधिप जीता जा सकता है? को नहीं मानता, तो वह तलवार से लड़ता हुआ, अग्नि की ज्वाला में पड़ेगा" ॥१९॥
पत्ता-हो-हो, बकने से क्या समर्थ हुआ जा सकता है? राजा तुम्हारे ऊपर आक्रमण करता है, करवालों
शुलों और सब्बलों के द्वारा सबेर तुम से रणांगण में मिलेगा"।।२०।। तब दूत ने कहा- "हे कुमार, यह अप्रिय क्या कहते हो? भरत के द्वारा प्रेषित पंखविभूषित तौर दर्निवार
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