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जयपुर
वाचवस्यान सयकडयोरपडठ तपिसणविगळलहिविल्ठ कुहकमारही
पणविटयमळउ ऋळश्वारिणरिदवउहरुबकि पकिलासामियअवससाताकहासणितमव! रदिसायकिलकपडसारहिताकहियह रणजसनिम्मलु पश्यालिमसपमुहमरलुवा अवलासुदेलकामडनु द्वादिहाइंड
तुसंधुउमगलिमपंजलिपामीकोवसिणक्रिय पोहनापुरिजर थकहतुगया
वहपरिणाममा उधणुग्नणघण्टकार वाइवलंपास
वा केणदिमायाचनपाईसम्मइहपंचा हिंममणहिसदलवितिकदामिननाथला रपाल पियवया पिसासिंग सुम्सुहासिमंस
त्रकामसायासहजनवडहसग जगविमद णणायणतिलायाळाजयकुसुमाउहरमणाघरअलिमालाजायासंधियसरपश्पेविघा १६
दिजेा मन्दिावन
"राजा से कहो कि द्वार पर प्रभु का दूत खड़ा है।'' यह सुनकर लाठी हाथ में लिये हुए मस्तक से प्रणाम घत्ता-तुम्हारी धनुष-डोरी के टंकार से किसने मान नहीं छोड़ दिया! हे कामदेव, तुमने अपने पाँच कर प्रतिहार कुमार से कहता है-"द्वार पर राजा का दूत स्थित है, हे स्वामी अवसर है कि 'हाँ-ना' कुछ ही तीरों से समस्त त्रिलोक को जीत लिया"॥१४॥ भी कह दें।" तब कामदेव बाहुबलि ने कहा-"मना मत करो। भाई के अनुचर को शीघ्र प्रवेश दो।" तब
१५ यष्टि धारण करनेवाले प्रतिहारी ने यश से निर्मल प्रसन्न मुखमण्डल दूत को प्रवेश दिया। सभा के बीच बैठे "काम और भोगों को जिन्होंने भोगा है ऐसे लोग, कहे गये श्रुतिमधुर प्रिय वचन और जग का विमर्दन हुए बाहुबलीश्वर को दूत ने इस रूप में देखा मानो इन्द्र हो। हस्तकमलों की अंजलि जोड़कर उसने संस्तुति करनेवाले तुम्हारे विजय के नगाड़ों का शब्द नहीं सुनते। हे रतिरूपी रमणी के वर कामदेव, आपकी जय की-"तुमने अपने परिणाम से किसको वश में नहीं कर लिया।
हो। भ्रमरबाला की डोरी पर सर-सन्धान करनेवाले आपको देखकर
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