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कोविणिवारमञ्चविमार किंकिवाणिगणकंद आणवतदोणिवडश्कंदाधिना श्यनपविरा याणकरणअविण्यावादयमणाझई सयलहामसयलसंपयहरहलादपुदामहाया रणाली नाविगयावहरा जाममोहरा शिवकुमारवास डमदलबालिगतारण रसियवारया।
सस्थचक्रवृति वृतपतएकाधव यासि।
छिन्वमिदसाला तेहिंसागियतेविण कोप्पिए सामिसालतपसहयपावापासुरणरविसहर २५
कौन प्रतिकार करता है और मुझे भी मारता है? कामदेव का वर्णन करने से क्या? नहीं प्रणाम करते हुए किसका सिर दर्प से गिरता है?"
घत्ता-यह कहकर राजा ने अविनय के कारण अमनोज्ञ समस्त सब प्रकार की सम्पत्ति धारण करनेवाले शत्रुओं को कठोर लेख दिया।॥६॥
तब जनों के लिए सुन्दर दूत, जहाँ द्रुमदलों के सुन्दर तोरण हैं, गज चिंघाड़ रहे हैं, और जिनका भूमिप्रदेश ढका हुआ है, ऐसे नृपकुमारों के आवास पर गये। स्वामी श्रेष्ठ के उन पुत्रों को प्रणाम करते हुए उन्होंने विनय के साथ निवेदन किया-"सूर-नर और विषधरों में
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