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वश्साइवाणुससकियन जोलाहवंचपरमातणठ सराणसमिदियानमग्नण किंअशावर उगया
सरथचकवहि हिमवता
वापदिसत्रन्या कुमारहा
मंगया। हिमवतरुटका
डिउपसग सीहिमवंतदेव
যায়। तस्यगृहस्थ
खवायु क्वठिनामा
बलान्यठा कृतवाणग्राम मना
चिंतितेप
मग काण्ड | उकालेचोश्यारा कियाणिपसारितफणिमणिद तडिमडियहादसोदामणिदेशीहरजाला
הנרי וובר
उसने स्वयं वैशाख-स्थान किया। जो लोहवन्त (लोभ और लोहे से युक्त) ऐसे उस मग्गण (बाण और कौन है जिसे काल ने प्रेरित किया है? ॥२॥ याचक) को गुणि (डोरी/गुणी व्यक्ति) पर रख दिया गया। क्या वह रहता है, नहीं केवल वह ऊपर गया मानो हिमवन्त कुमार के पास गया हो।
क्या उसने नागमणि के लिए हाथ फैलाया है, या आकाश में कड़कती हुई बिजली के लिए? दीर्घ घत्ता-अपने आँगन में पड़े हुए पुंख सहित बाण की उसने देखा और अपने मन में विचार किया यह ज्वालमालाओं
१, बायें पैर और घुटने को धरती पर रखकर, दूसरे के ऊपर उठाना बैशाख स्थान कहलाता है। Jain Education International
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