________________
रमहाकश्यफयतविरएमहासन्चतरहापुमणियमिहाकायावाचिलायासाइर्णय ममहहमोमस्तिसमतोमा सविधानात्यागोयस्यकालियाचकमनस्हालावरा छेदन कार्तिर्यस्थमनाधिणावितक्तेरामांववतः सोजन्यसममवयस्पक्चरतेपाली तरानिहीत श्लाघ्योसासरतः प्रच_तसवेधातिगिरामक्रिसिलामखेविसिंधुसरि पण वाध्यणुरिसहजिणिदहापासंचलिनपढ सयरसुजणधमरिहालिासणासणाहि
सरवववनि कउपेन्युसिंधु देण्याकमा करिश्रममन
उपस्थिरियाहिमवंउधरणिसंचलिय मोहमळताबमुहावरुवंसाणाहयळिचपस १४०
इस प्रकार प्रेसठ महापुरुषों के गुणों और अलंकारों वाले इस महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित एवं महाभव्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य में आवर्त-किलात प्रसाधन नाम का
चौदहवाँ परिच्छेद समाप्त हुआ॥१४॥
सन्धि १५ सिन्धु नदी को छोड़कर और ऋषभ जिनेन्द्र को प्रणाम कर राजा भरत अमरेन्द्रों को भय-रस उत्पन्न करता हुआ चला।
सेना और सेनापति से घिरा हुआ हिमवन्त को अपने अधीन कर वह चल पड़ा। जिसमें कुरुवंश के स्वामी राजा प्रमुख हैं ऐसी सेना पूर्व की ओर मुख किये हुए शोभित है।
Jain Education Internation
For Private & Personal use only
www.jan279g