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वकूवर्तिकरमकामपाकामियादडाम
नामि॥
मणीकागणाकामिणादंडरमाणिसासमापिकामारलिम रीपरिदंगनंगपहाण अज
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यस्तयकरालंकिवाण विटांचनचमसरममहंत महावारखंधारविचारवंत हरकारपिछा हकतिखकाठ कराणिजियाणिंददेविदणाराहाणिराहावसामावयाण णिवासापयासो प्यासपयाणं समयसमधेसमसामकारचमूगठडग्नमयावहारा गिहाकोविदेवामढूहा। सामहा महतवपपरायमसिहो सरागारकिंममारकम्मावयारो परोकोक्अिषाणिककहा काराधिना श्मसाहिएखवणहि चोहहखणहिंसडपारणाहहाश्वपाहयगयरहवाहपुचीला
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काकणी मणि, कामिनी, दण्डरल, सूर्यकान्त और चन्द्रकान्त मणियों की कान्तियों से मिश्रित चक्रवर्ती के शरीर की ऊँचाईवाली भारी अजेय तेजस्वी भयंकर कृपाण, पीत छत्र, महावीर के स्कन्धावार के समान विस्तारवाला महान् सुन्दर चर्म, हरे कीरों के पंखों के समूह के समान कान्तिवाला, और देवेन्द्र के अनिन्द्य नागराज को जीतनेवाला गज, भयंकर आपत्तियों का निरोध करनेवाला और प्रजाओं की सम्पदाओं का निवास
और प्रकाशित करनेवाला पुरोहित, समता में विषमता और विषमता में समता स्थापित करनेवाला तथा दर्गमार्गों का अपहरण करनेवाला सेनापति, महाऋद्धियों से समृद्ध कोई देव गृहपति, महापुण्य से राजा को सिद्ध हुआ। देवगृहों के लिए विचित्र कर्मों का अवतरण करनेवाला श्रेष्ठ कोई सूत्रधार अर्थात् स्थपति उसे सिद्ध हुआ।
घत्ता-जिसने चौदह भुवनों को सिद्ध किया है, ऐसे चौदह रलों के साथ, राजा के चक्र के पीछे हयगज और रथ वाहन हैं जिसमें ऐसी समस्त सेना इच्छापूर्वक चली॥४॥
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