________________
पाणिमुसयहंसावलिवलयविश्लसोहामन्तरदिसणारितणावाहाधनावडरयापणिहा पहा मुहुसलाण्हाधवलविमलमंथरगासायलबारटोसगारही मिलिटगपिंगगाण
गंगानदी
Res
SUPET
शाघाजहिमळायकपरियत्रियाईसिपिउड़वलियमोतियाईघप्यतितिसाहलगायदि जल विंडलविवाहपहिंजलरिहहिंपिजराजलुसुसउ तमजहिणावश्चंदते साहश्य लदल
जिसे हंसावलियों के वलय शोभा प्रदान कर रहे हैं, ऐसी वह मानो उत्तर दिशारूपी नारी की बाँह हो।
घत्ता-जो अनेक रत्नों का विधान है और अत्यन्त सुन्दर हैं, ऐसे गम्भीर समुद्ररूपी पति से, धवल, पवित्र और मन्थर चालवाली गंगानदी स्वयं जाकर मिल गयी॥६॥
जहाँ मत्स्यों की पूँछों से आहत, सीपियों के सम्पुटों से उछले हुए मोती, प्यास से सूखे कण्ठवाले चातकों के द्वारा जलबिन्दु समझकर ग्रहण कर लिये जाते हैं, जलकाकों द्वारा सफेद जल दिया जाता है मानो अन्धकारों के समूहों के द्वारा चन्द्रमा का प्रकाश पिया जा रहा हो। फिर वही (जल) लाल कमलों के दलों की कान्ति से ऐसा शोभित होता है,
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org