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देवेण समुपरिग्गड तंयेरके दिगजिउमाग हेण सणुकेणुष्पाडिय अमहोजाद उणु केगल हिम् खजकाल लीह गायउलवलयविलुलंत्गोतु सपके णिलिउधरणिवा लपकेक लिउम दल करण व्हावउसीकरण लपके खलि देलान सिद्धिष्ाउँपाई को जियंत्र । लगुकास करोडिदिरिडुरसिठ लागकोकय तदेततेवासिठ चणुकेणविहंडिनममाणु केोडर विमठिक्कुलिसवान जेनवियलिन रणुयारं लिये सोमणचकर पिक्षगुनमा भागध्देवस्य से गए सीयन काणण विहियविधु टुक्का इयुल वितेकहिन कराल भाराल उणा वश्मजाल पडुताडणा खंडिय लडकालु सिरिकरिमोत्रियदेव राल ददमुहि निवाडिन वदश्वारिदासुवासारि सुनंदन ससिमंडलसरि नरेचापविहिन लोहियनु पपेनवि केवलको विपुल मोमारूमु संदिप हिसतिल केणविकरेल श्या लिंडमाल बावलसे।।
सचढिणा
सुमत्तिमुसलुसलुसलु कण्णशमला के विलुयंगु केणविविहंगु केणदिवस्यके।
और समुद्र का परिग्रह करनेवाला वह मागधदेव उस तीर को देखकर गरज उठा। वह बोला- "बताओ यम की जीभ किसने उखाड़ी, बताओ क्षयकाल की रेखा को किसने पोंछा ? बताओ नागकुल के वलय के द्वारा गृहीत धरिणीपीठ को किसने नष्ट कर दिया? बताओ किसने हाथ से मन्दराचल उठाया? सोते हुए सिंह को किसने जगाया? बताओ आकाश में जाते हुए सूर्य को स्खलित किसने किया? कौन जीते जी अपने प्राणों से विरक्त हो गया? बताओ किसके सिर पर कौआ बोला है? बताओ यम के दाँतों के भीतर कौन बसा हुआ है ? किसने मेरे मान को भंग किया है? किसने यहाँ यह वज्रबाण छोड़ा है?
घत्ता - जिसने यह तीर फेंका है और युद्ध प्रारम्भ किया है, वह आज मुझसे नहीं बच सकता, अनिष्ट यममुख या भयंकर कानन, दोनों में से एक निश्चित रूप से उससे भेंट करेगा ।। १७ ।।
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परण्
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यह कहकर उसने कुशल आघात से जिसने योद्धा समूह को नष्ट किया है, जो शत्रुरूपी गज के मोतीरूपी दाँतोंवाली है, ऐसी भयंकर तलवार इस प्रकार निकाल ली जैसे धारावर्षी मेघजाल हो। मजबूत मुट्ठियों से पीड़ित जो दास की तरह जल धारण करती है, जो विन्ध्याचल के समान वंश (बाँस और कुटुम्ब ) को धारण करनेवाली है, चन्द्रमण्डल के समान उस तलवार को अपने उर में चाँपकर, लाल-लाल आँखोंवाला मागधेश बसुनन्द उठा। स्वामी को देखकर किसी ने भाला ले लिया, कोई 'मारो मारो' कहता हुआ क्रुद्ध हो उठा। किसी ने मुद्गर, भुशुण्डी, फरसा, त्रिशूल, हल और भिन्दिमाल अपने हाथ में ले लिया। किसी ने वावल्ल, सेल, झस, शक्ति, मूसल, हल, सव्वल और युद्धकुशल कम्पन ले लिया। किसी ने भुजंग, किसी ने विहंग (गरुड़), किसी ने तुरंग,
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