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एणु असिहिचणंयकशाणु अश्वाहायारणंसुदय अश्याणहारिणखलपसंगअश्या तिहारमुळहोत्रिगयउ माणुसकसमयतित्यम अश्लाहडिठणलहरितुअज्ञायणगम
बरधवक्रवर्ति समुश्कविदि भातरसमाग
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एणखयस्तु अमोखमामिणवरमदेव अश्कठिणगणपवाडापावालणतश्चिमम संवाईकारेंचालणसमचायना मागहहाणिदलहरिणालगणेखनुकणयपखुजल रु
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शुक्लध्यान की तरह अत्यन्त शुद्धिवाला था, भुजंग की तरह अत्यन्त बड़े आकारवाला था, दुष्ट के प्रसंग को करनेवाला था। मानो चरमशरीरी की तरह शीघ्र मोक्षगामी था। मानो नदीप्रवाह की तरह अत्यन्त कठिन तरह प्राणों का अत्यन्त अपहरण करनेवाला था। वह बाण अत्यन्त गुणी (मुनि और धनुष से ) से विमुख होकर भेदनवाला था, वही (तच्चिय) नदीप्रवाह और महान् तात्त्विक की तरह ठाणालउ (नावों से युक्त और इस प्रकार गया मानो खोटे शास्त्रों की भक्ति से आहत मनुष्य हो, लोभी के चित्त के समान वह अति लोह नमनशील) था, वह मानो हुंकार से प्रेरित सुमन्त्र था। घडिउ (अत्यन्त लोभ, और लेह से रचित) था। वह विद्याधरत्व की तरह मानो आकाश में अत्यन्त गमन घत्ता-भरत ने हरित और नोले मणियों से रचित मागधराज के घर में स्वर्णपुंख से उज्ज्वल तोर फेंका,
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