________________
बविण्यामणिगएखश्याससमाहोउवश्पणंसुरखरसुंदरू देठस्सरदरूपडसलर तस्थक्कयति दयलेणिसपना सामतमहासामंतजेविमंडलियमहामंडलियतेवि सणाहिवसिडुद्देस संग्रामचरिणा
मिला शिवरायपसायविश्मएडययोषणविनमामिला सगलतिजालनहाल
घत्ता-अपने स्थपति के द्वारा विरचित और मणिसमूह से विजड़ित सौधतलपर बैठा हुआ राजा भरत ऐसा मालूम हो रहा था, मानो स्वर्ग से स्वयं उतरकर सुरवरों में सुन्दर इन्द्रदेव आकर बैठा हो॥९॥
जितने भी सामन्त और महासामन्त एवं महामाण्डलीक राजा थे वे भी इकट्ठे हुए। सेनाध्यक्ष के द्वारा निर्दिष्ट और राजप्रसाद से पुलकित वे निवास में ठहर गये। रात हुई, फिर अपनी किरणों के जाल से चमकता हुआ सूर्य उग आया।
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org