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बिलसणाबूढपापाय चाश्मविमाणसे जंतजरकामरं चजियचूलचामर खहिमणाणाणि वजणियगमणवं कामिणासुललिया किंकिणीसुदलिय रहियवाहिदार छन्त्रवाश्मा गाई वैदिवमिमगुण दिसमणिकंचर्ण पदणधुमधयवडे गिरिगन्दगयघड गहियामलगा व रणिय घंटावं परिलमियमहरं मुकढक्कासंगमलियफणिसहर काललालाहरी कडि यसरखरणाचडलहमवरथडवहलधलारसघालयमाणहारयाधता करारनवडीवर
वश्वशिकच चईसरलानि
हाजगलयसरदे चन्नतपछालावारहवरमातगाहसडाहवरंगहिसणकळश्माउन
जो जंपाण धारण किये हुए हैं, जो विमानों को प्रेरित कर रही है, जिसमें यक्ष और देव चल रहे हैं, जिसमें ध्वनि हो रही है, जिसमें नागों के फणामणि चूर-चूर हो गये हैं, जो काल की लीला को धारण करता है, चंचल चमर चल रहे हैं, जिसने अनेक राजाओं को क्षुब्ध किया है, जिसने प्रस्थान का उत्सव किया है, जो जिसमें देवरूपी नट नचाये जाते हैं, जिसमें श्रेष्ठ अश्वों की घटा चंचल है, जिसमें अत्यधिक धूलिरज है, जिसमें स्त्रियों से सुन्दर है, किंकिणियों से मुखर है, जिसमें सारथियों के द्वारा रथ हाँके जा रहे हैं, जिसमें छत्रों से मणिमय हार व्याप्त हैं, ऐसा राजसैन्य चल पड़ा। आकाश आच्छादित है, जिसमें चारणों के द्वारा गुणों का गान किया जा रहा है, जिसमें मणिकंकणों का दान घत्ता-जिसने शत्रुवधुओं को विरह उत्पन्न किया है और जो विश्वयश से भरित है, ऐसे राजा के चलते किया जा रहा है, पवन से ध्वजपट उड़ रहे हैं, जिसमें गजघटा गिरिवर के समान भारी है, जिसने मद के ही सैन्य दौड़ा और श्रेष्ठ रथों, गजों, भटों और अश्वों के द्वारा वह कहीं भी नहीं समा सका॥३॥ गौरव को ग्रहण किया है, जिसमें घण्टों का शब्द हो रहा है, जिसमें भ्रमर घूम रहे हैं, जिसमें ढक्का की
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